कुछ फीका
कुछ हकबकाया सा
मुँह लटकाए
बङी उहापोह में
सकुचाता सा
निकला चाँद ।
आंखों में लाल डोरे
धुंआ- धुंआ रात में
हैरान देख हर जगह
ड्योढ़ी,छत,झरोखों में
लिए पूजा का थाल
निर्जल व्रत-उपवासी
माँ ओढ़े ओढ़नी
लगा कर टकटकी
करती इंतज़ार..
कब आएगा चाँद ..
धन्य इस माँ की निष्ठा
और व्रत संकल्प !
बच्चे रहें सलामत..
इस एक आस में
सहती हैं कितना कष्ट !
बच्चों तुम भी ज़रा
कुछ कष्ट उठाओ !
मटमैले चाँद को
तनिक चमकाओ !
हवा में घुले ज़हर को
कम कर के दिखाओ!
उजला-सा चाँद बताशा
माँ के लिए उगाओ !
चाँद को तनिक हँसाओ !
मुँह मीठा करवाओ !
माँ को शीश नवाओ !