घर-घर के द्वार पर
मंदिर के निकट
अल्पना में अंकित
शुभ श्री चरण ..
माँ लक्ष्मी के माथे पर
दमकता पूर्ण चंद्र
नील नभ के ताल मध्य
जैसे खिला हो कमल !
अमावस और पूनम
सृष्टि का क्रम अनवरत,
नयनों में भर लेना मन
स्निग्ध चाँदनी का पीयूष।
निशा के चंद्र बनो मेरे मन
ऐसे कि उजियारी हो रैन ,
वंशी सुन हो जाए मगन,
शीतल बयार बन.. पाओ चैन ।
अंतर्दृष्टि से रस-रास अवलोकन ,
पथ प्रकाशित करें पावन पदचिन्ह ।
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