विराट वट वृक्ष की जटाओं में
उलझे हैं कई जटिल सवाल
जिनके मिलते नहीं जवाब।
जटाधारी जोगी की छाँव मगर
देती सदा कितनों को पनाह !
सख़्त तना घुमावदार पठार
चबूतरे पर धूनी जमाए बैठा
अटल, तटस्थ, ध्यानमग्न ..
अनगिनत शाखाओं और
अपनी फैली हुई जङों से
थामे मिट्टी का कण-कण,
छूटने नहीं देता अटूट बंधन,
बहने नहीं देता बाढ़ में !
जीव-जंतु को देता आश्रय
वो देखो बसा है पूरा गाँव !
गिलहरी पुल पार कर जा रही
एक चिङिया ओढ़े कत्थई शाॅल
इधर-उधर कर रही चहलक़दमी !
उस घोंसले में है बङी चहल-पहल !
और मेरे ऊपर हरी-भरी विशाल छत
ठंडी बयार बार-बार करती दुलार
मन में बो गई वृक्षारोपण का संकल्प ।
नमस्ते namaste
शब्दों में बुने भाव भले लगते हैं । स्याही में घुले संकल्प बल देते हैं ।
बुधवार, 11 जून 2025
छत्रछाया
बुधवार, 4 जून 2025
सच से साक्षात्कार
सचमुच.. सच शरारती है बङा !
जाने कब पीछे से दबे पाँव आकर
धौल जमाता है ज़ोर की छुप कर !
और फिर चंपत हो जाता है फ़ौरन !
रेत जैसा हाथों से जाता है फिसल,
अंजुरी में जैसे टिकता नहीं जल ।
बौराई पवन के झोंके की तर्ज पर
छूकर आगे बढ़ जाता है झटपट !
वर्षा की फुहार का फाये सा स्पर्श
गीली मिट्टी में समा जाता अविलंब।
इंद्रधनुष पल भर में होता ओझल
ऐसे ही नहीं देखा प्रत्यक्ष कभी सच ।
अगोचर को जानने मूंदे अपने नयन
ध्यान लगाना चाहा श्वास साध कर ।
पूर्वाग्रह अनेक सूखे पत्तों से गए झर
धूमिल हुआ शिकायतों का पतझङ ।
यात्रा में मिली जो वृक्ष की छाँव सघन
बेकल मन थका तन हो गया शिथिल
पाकर तने की टेक पलक गई झपक ।
अनायास ही हुआ कुछ ऐसा आभास
गले से लगा कर और रख सिर पर हाथ
कोई आत्मीयता का कवच पहना गया ।
सामने न आया पर इतना समझा गया
वृक्ष बनो छायादार,फिर होगी मुलाकात !
सोमवार, 26 मई 2025
सौभाग्यवती भव !
सिंदूर नहीं,
लाली थी सूरज की ।
जिसे मिटाया तुमने
मेरा सुहाग समझ कर ।
निसदिन होता है अस्त
सूर्य सुदूर क्षितिज पर ,
पर डूबता नहीं कभी ।
पुन: उदय होता है दिनकर
सतेज पीयूष पान कर..पहन
स्वर्णिम किरणों का मुकुट,
मस्तक पर रोली का तिलक ।
आलोक से आच्छादित आकाश
सीमा पर वीर सदा रहता है तैनात !
कितना भी तुम करो विश्वासघात!
कायर करते हैं निहत्थों पर वार !
सिंदूर मेट कर छल-कपट कर
छद्म की ढाल के पीछे छुप कर ..
तुमने जो किया पीठ पर वार !
थपथपाओ न अपनी पीठ अरे ढीठ !
उजङे सुहाग पर अक्षय है सौभाग्य !
सिंदूर चढ़ाते हैं हिंदू बजरंग बली पर !
जानते हैं जवान, रखना सिंदूर का मान !
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छायाचित्र आभार श्री करन पति