शुक्रवार, 12 जुलाई 2024

मोती

गुड़हल की 

पंखुड़ी पर ठहरी 

ओस की बूँद, 

पलकों पर ठहरे 

आँसू ..मानो मोती . . 

भाव निर्झर 

ठिठका हो जैसे,

बहने से पहले

विचार कौंधे..

थाम लिया यदि

भावनाओं का ज्वार,

बन जाएंगे मोती,

और बह गए झर-झर

धुल जाएगी जमी धूल,

सींचेगी उर्वर भूमि,

ह्रदय की चौखट

पर कोई आ कर

बनाएगा अल्पना, 

बालेगा दिया ।



सोमवार, 8 जुलाई 2024

अनायास ही ..

जगत में जगन्नाथ


जय जय जगन्नाथ !

महाप्रभु के आराध्य !

तुम्हारे नेत्र विशाल

आकाश का विस्तार 

जगत जिनमें समाहित,

पाए कृपादृष्टि अनुराग 

बहन सुभद्रा समान ।

संग बलभद्र शोभायमान ।

रथारुढ़ हुए भगवान ..

प्रस्थान गंतव्य की ओर ।

भक्त आनंद विभोर !

भुवन रथ पर आरूढ़ 

कृपादृष्टि से सिंचित 

कर देना भगवन 

दृष्टि मेरी पावन !

देख सकूं जन-जन..

जगत में जगन्नाथ।

 

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दर्शन अंतर्जाल से आभार सहित