जब आता है भूकंप
थरथरा उठती है पृथ्वी !
ज़मीन फट जाती है !
चट्टानों में पङ जाती है दरार !
फिर भी इस दरार से इक दिन
अंकुर फूटता है ..
जीवन का चक्र फिर से घूमता है ।
क्योंकि जीवन ऐसा ही होता है !
जीने का मार्ग ढूँढ ही लेता है ।
ख़त्म जहाँ होता है..
फिर शुरु वहीं से होता है हर बार !
शर्त एक ही है जीने की
हिम्मत कभी न हारना !
और ना ही हारने देना !
किसी बेगाने या अपने को ।
ठोकर लग जाए तो हाथ बढ़ा देना ।
कोई बिखर जाए तो गले लगा लेना ।
किसी अपरिचित से भी हाल पूछ लेना ।
अगर नज़र मिल जाए तो मुस्कुरा देना ।
दो मीठे बोल और अपनापन बङी दवा है !
जाने कितने डूबतों को थाम लिया है ।
जब झिंझोङ जाए कोई दुस्वप्न,अनुभव बुरा
मदद माँगने से तुम भी ना हरगिज़ कतराना ।
बुरे वक्त में साथ किसी का देना,साथ रहना ।
सबसे बङी दौलत है खुश रहना और रखना ।
मानवता की शोभा है संवेदना । याद रखना ।
फीके रंगों से भी सहस्र रंगों का राग बुनना ।
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