शनिवार, 11 अक्टूबर 2025

हर रंग में खुशरंग रहना


जब आता है भूकंप 

थरथरा उठती है पृथ्वी !

ज़मीन फट जाती है !

चट्टानों में पङ जाती है दरार !

फिर भी इस दरार से इक दिन

अंकुर फूटता है ..


जीवन का चक्र फिर से घूमता है ।

क्योंकि जीवन ऐसा ही होता है !

जीने का मार्ग ढूँढ ही लेता है ।

ख़त्म जहाँ होता है..

फिर शुरु वहीं से होता है हर बार !


शर्त एक ही है जीने की

हिम्मत कभी न हारना !

और ना ही हारने देना !

किसी बेगाने या अपने को ।

ठोकर लग जाए तो हाथ बढ़ा देना ।

कोई बिखर जाए तो गले लगा लेना ।

किसी अपरिचित से भी हाल पूछ लेना ।

अगर नज़र मिल जाए तो मुस्कुरा देना ।

दो मीठे बोल और अपनापन बङी दवा है !

जाने कितने डूबतों को थाम लिया है ।


जब झिंझोङ जाए कोई दुस्वप्न,अनुभव बुरा

मदद माँगने से तुम भी ना हरगिज़ कतराना ।

बुरे वक्त में साथ किसी का देना,साथ रहना ।

सबसे बङी दौलत है खुश रहना और रखना ।

मानवता की शोभा है संवेदना । याद रखना ।

फीके रंगों से भी सहस्र रंगों का राग बुनना ।

 


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