शुक्रवार, 10 अक्टूबर 2025

धूप-छाँव में पनपे रिश्ते

शिकायतें मुझे भी हैं तुमसे

नाराज़गी तुम्हें भी हैं मुझसे

हम तुम बिन रह नहीं सकते

तुम्हें भी साथ रहना है हमारे

यदि हम उन खूबियों को देखें

जिनकी वजह से हम-तुम जुङे

एक-दूसरे की छाँव में सुस्ता लें

आपस में तपती धूप भी बाँट लें

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