गुरुवार, 9 अक्टूबर 2025

पता.. पता है


डाक शब्द में ही जादू है ।

लिफ़ाफ़ा एक पुल है ।

डाक टिकट उम्मीद है 

जिसपे भरोसे का ठप्पा है ।


मेघदूत समान है डाकिया ।

सदैव दुख-सुख का वाहक,

घंटी बजाता,आवाज़ देता

बेन सायकल पर आता है ।


बहुत सी ऐसी बातें हैं

जो कहते नहीं बनती हैं ।

जब लिख दी जाती हैं

इतिहास गढ़ सकती हैं ।


डाक से हर आदमी का

रूहानी नाता है ।

दुनिया भर को जोङता

भावनात्मक धागा है ।


अभिव्यक्ति की धुरी है,

चिट्ठी मौन संवाद है ।

काग़ज़ कलम स्याही है,

दो पतों का वार्तालाप है ।


तकनीक सर्वोपरि है ।

पर डाक इनसे परे है । 

जो आस से धङकते हैं, 

उन पतों को सब पता है ।


1 टिप्पणी:

  1. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में शनिवार 11 अक्टूबर 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!

    जवाब देंहटाएं

कुछ अपने मन की भी कहिए