डाक शब्द में ही जादू है ।
लिफ़ाफ़ा एक पुल है ।
डाक टिकट उम्मीद है
जिसपे भरोसे का ठप्पा है ।
मेघदूत समान है डाकिया ।
सदैव दुख-सुख का वाहक,
घंटी बजाता,आवाज़ देता
बेन सायकल पर आता है ।
बहुत सी ऐसी बातें हैं
जो कहते नहीं बनती हैं ।
जब लिख दी जाती हैं
इतिहास गढ़ सकती हैं ।
डाक से हर आदमी का
रूहानी नाता है ।
दुनिया भर को जोङता
भावनात्मक धागा है ।
अभिव्यक्ति की धुरी है,
चिट्ठी मौन संवाद है ।
काग़ज़ कलम स्याही है,
दो पतों का वार्तालाप है ।
तकनीक सर्वोपरि है ।
पर डाक इनसे परे है ।
जो आस से धङकते हैं,
उन पतों को सब पता है ।
गुरुवार, 9 अक्टूबर 2025
पता.. पता है
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आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में शनिवार 11 अक्टूबर 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!
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