उन बातों का क्या ?
जो तुमने कहनी चाहीं,
जो हमने सुननी चाहीं,
पर ऐसा हो ना पाया ।
क्या शब्दों में ही
बात कही जा सकती है ?
अभिव्यक्ति का और कोई
माध्यम नहीं है ?
सुना है मौन की भी
भाषा होती है ।
बिना कुछ कहे भी
भावना व्यक्त होती है ।
सृष्टि का प्रत्येक कण
हर पल कुछ बोलता है ।
अस्तित्व में होना ही
उसका मुखर होना है ।
ऐसी भी आती है घङी
ईश सम्मुख होता है,
मन में होती है प्रार्थना
मुरली वाला सुनता है ।
मोहन मन में बसता है ।
छल से भीतर आता है ।
माखनचोर कहलाता है ।
चित्त चुरा के ले जाता है ।
शुक्रवार, 7 नवंबर 2025
उन बातों का क्या ?
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