शुक्रवार, 7 नवंबर 2025

उन बातों का क्या ?


उन बातों का क्या ?

जो तुमने कहनी चाहीं,

जो हमने सुननी चाहीं,

पर ऐसा हो ना पाया ।


क्या शब्दों में ही

बात कही जा सकती है ?

अभिव्यक्ति का और कोई 

माध्यम नहीं है ?


सुना है मौन की भी

भाषा होती है ।

बिना कुछ कहे भी

भावना व्यक्त होती है ।


सृष्टि का प्रत्येक कण

हर पल कुछ बोलता है ।

अस्तित्व में होना ही

उसका मुखर होना है ।


ऐसी भी आती है घङी

ईश सम्मुख होता है,

मन में होती है प्रार्थना

मुरली वाला सुनता है ।


मोहन मन में बसता है ।

छल से भीतर आता है ।

माखनचोर कहलाता है ।

चित्त चुरा के ले जाता है ।


5 टिप्‍पणियां:

  1. बड़ी ही शांत और मुखर अभिव्यक्ति

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  2. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में सोमवार 10 नवंबर , 2025 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद!

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  3. बहुत सुंदर सृजन ! जो कोई और नहीं सुनता वह सुन लेता है, जो कोई और नहीं कहता वह कह जाता है

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