तुम सरल
जल की बूंद,
ओस की बिंदी,
अश्रु का मोती,
निश्छल पारदर्शी ।
ओस की बिंदी,
अश्रु का मोती,
निश्छल पारदर्शी ।
क्षणभंगुर ..
पर अमिट
पावन स्मृति
क्षीर सम ।
पर अमिट
पावन स्मृति
क्षीर सम ।
सूर्य रश्मि का
परस पाकर
बन जाती
पारसमणि ।
परस पाकर
बन जाती
पारसमणि ।
तुम कहीं
जाती नहीं ।
विलय होती ।
बन जाती
अंतर्चेतना।
जाती नहीं ।
विलय होती ।
बन जाती
अंतर्चेतना।
सहसा
समा जाती,
सहृदय
पुष्प की
पंखुरियों में ।
समा जाती,
सहृदय
पुष्प की
पंखुरियों में ।
तुम निरी
इक बूंद !
इक बूंद !
बूंद में ही
खिलता
सजल सतरंगी
इंद्रधनुष ।
खिलता
सजल सतरंगी
इंद्रधनुष ।