नन्ही गौरैया आओ तुम ।
अपना घर बसाओ तुम ।
अपना घर बसाओ तुम ।
मेरे छोटे-से घर की
छत का कोना, खिड़की,
बालकनी, दुछत्ती, अहाता,
सब बाट जोहते हैं तुम्हारी ।
छत का कोना, खिड़की,
बालकनी, दुछत्ती, अहाता,
सब बाट जोहते हैं तुम्हारी ।
यहाँ घोंसला बनाओ ।
दिन भर दाना चुगो ।
प्यास लगे तो पानी पियो ।
ये सब यहाँ मिलेगा ।
और प्यार मिलेगा ।
दिन भर दाना चुगो ।
प्यास लगे तो पानी पियो ।
ये सब यहाँ मिलेगा ।
और प्यार मिलेगा ।
ज़्यादा कुछ नहीं,
देने को
हमारे पास भी ।
तुम्हें भी तो
चाहिए बस इतना ही ।
देने को
हमारे पास भी ।
तुम्हें भी तो
चाहिए बस इतना ही ।
तुम्हारा रहना आसपास
होता है शुभ ।
तुम चहचहाती हो जब,
चहकने लगता है जीवन ।
होता है शुभ ।
तुम चहचहाती हो जब,
चहकने लगता है जीवन ।
गौरैया के घर की चित्रकारी : श्रीमती रेखा शांडिल्य
मंगला समय एक पद गाया जाता है थकुर जी के सन्मुख, "चिरिया चुहचुहानी,सुन मृदु यह वानी,उठे मनमोहन" और भोग अरोगाते समय पद में वर्णन आता है, "आओ चिरय्या,आओ ठुमरय्या"! नंद भवन में यशोदा जी ठाकुर जी को चिड़िया,गौरैय्या के बहाने बुला रही हैं! आपकी गौरैय्या ने वही याद दिला दिया।
जवाब देंहटाएंअच्छा किया आपने इतने मधुर प्रसंग के बारे में बता दिया.अब जब जब नन्ही चिरैया आएगी, ठाकुरजी का स्मरण कराएगी. अहो भाग्य, हमारी किरायेदार गौरैया ने आपको कन्हैया की याद दिला दी.
हटाएंवाह ! बहुत ही सुंदर भावों से सराबोर रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद रवीन्द्र जी. किसी का आबोदाना बसते देख मन भावुक हो ही जाता है. और गौरैया तो मानो सहेली है.आसपास रहती है तो मन प्रसन्न रहता है.
हटाएंबहुत ही सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंअभिलाषा जी, बहुत आभार.
हटाएंअपने आसपास चहकती गौरैया अकेलापन महसूस नहीं होने देती.
बहुत ज़रूरी है उसका फलना-फूलना.
सुन्दर। शुभकामनाएं होली पर।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आदरणीय.
हटाएंसबके लिए शुभ हो होली !
जी नमस्ते,
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना शुक्रवार २२ मार्च २०१९ के लिए साझा की गयी है
पांच लिंकों का आनंद पर...
आप भी सादर आमंत्रित हैं...धन्यवाद।
सादर धन्यवाद.
हटाएंजीवन के रंग कभी फीके ना पड़ें.
कोमल सरस सुंदर नूपुर जी बधाई समय परक विषय।
जवाब देंहटाएंअप्रतिम
आनंदित हुआ मन ! सुन कर मन की वीणा !
हटाएंभाग-दौड़ से थके-हारे मन के लिए ईश्वर का वरदान है, गौरैया के आने-जाने की चहल-पहल. अकेलापन और थकान हर लेता है इनका चहकना.साथ बना रहे.
बहुत ही सुन्दर रचना.....गौरया सी मनभावनी...ऐसा प्यार मिले जो इसे तो शायद न हो ये लुप्त...यहीं रहे गुनगुनाती हमारे लिए।
जवाब देंहटाएंइंशाल्लाह ! सुधा जी. सच मानिये, बहुत देर तक दिखाई ना दे गौरैया तो बहुत सूना सूना लगने लगता है घर. याद सताने लगती है. एक अनाम रिश्ता है, जो हमारी जिंदगी में चहकता है, धड़कन की तरह.
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