कड़वे अनुभवों की
खर-पतवार को
सोच की
उपजाऊ ज़मीन पर
जड़ें मत फैलाने देना ।
सोच की
उपजाऊ ज़मीन पर
जड़ें मत फैलाने देना ।
इनकी कड़वाहट
जंगली बेल की तरह
तेज़ी से चारों तरफ़
फैल कर जकड़ लेती हैं ।
अच्छे ख़यालात को
पनपने नहीं देती ।
जंगली बेल की तरह
तेज़ी से चारों तरफ़
फैल कर जकड़ लेती हैं ।
अच्छे ख़यालात को
पनपने नहीं देती ।
इसलिए हो सके तो
नियम से इन्हें
उखाड़ फेंको ।
नियम से इन्हें
उखाड़ फेंको ।
अगर कुछ करना है ।
अगर कुछ पाना है ।
तो बहुत देर तक
कटुता को
टिकने मत देना ।
दफ़ा कर देना ।
अगर कुछ पाना है ।
तो बहुत देर तक
कटुता को
टिकने मत देना ।
दफ़ा कर देना ।
दुखी करने वाला
हर वाक़या
कुछ सिखाने आता है ।
हर वाक़या
कुछ सिखाने आता है ।
सीखना और दुख को
अपनी ताक़त बना लेना ।
अपनी ताक़त बना लेना ।
कोशिश की जा सकती है । सुन्दर।
जवाब देंहटाएंआभार जोशीजी.
हटाएंकोशिश करने वालों की हार नहीं होती !
: )
ऐसा दृढ़ विश्वास लेकर ही जीवन जिया जा सकता है.
बहुत सुंदर बात कही है आपने।
जवाब देंहटाएंप्रेरक सृजन।
मन की वीणा बज उठी !
हटाएंप्रेरणा का बीज
जाने कौनसा पंछी
मन की मिटटी में
बो जाता है.
फूल खिलते हैं तो
नाम हमारा आता है !
दुखी करने वाला
जवाब देंहटाएंहर वाक़या
कुछ सिखाने आता है ।
बिल्कुल सही कहा है आपने ।
आभार सिन्हाजी.
हटाएंसदा बड़ों ने समझाया
दुःख जब जब आता है,
सुख का मोल
बता कर कर जाता है.
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (26-03-2019) को "कलम बीमार है" (चर्चा अंक-3286) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
शास्त्रीजी आभार.
हटाएंकलम वैसा ही लिखती है, जैसा हम सोचते हैं.
फिर भी देखते हैं, आपका क्या कहना है.
सराहनीय विचार सुंदर रचना👌
जवाब देंहटाएंधन्यवाद श्वेताजी.
हटाएंसाहस बटोर बटोर कर
शक्ति जुटाना सीखा.
बहुत ही बेहतरीन रचना
जवाब देंहटाएंअनुराधाजी, आपका स्नेह प्रोत्साहित करता है.
हटाएंबहुत ही बढ़िया रचना। बधाई।
जवाब देंहटाएंवीरेंद्र सिंह जी, नमस्ते पर आपका स्वागत है.
हटाएंरचते रचते मेहँदी रंग लाती है.
अभी अभी तो लगाई है.
फिर भी लगता आपको
खुशबू खींच लाई है.
उत्कृष्ट विचार ...., सुन्दर रचना ।
जवाब देंहटाएंधन्यवाद मीना जी.
हटाएंतिनका तिनका सुविचार का नीड़ बनाना है.
फिर सबके संग वहीँ बस जाना है.
सुंदर विचार
जवाब देंहटाएंऋतुजी,धन्यवाद.
हटाएंविचारों का आदान प्रदान हो.
व्यर्थ की बहस ना हो.
तो कितना मज़ा आये !
देश का कायाकल्प हो जाए.
बहुत नई सोच के लिए बधाई |उम्दा विचार |
जवाब देंहटाएंधन्यवाद आशाजी.
जवाब देंहटाएंपौधे पर फूल नया खिला हो शायद.
वर्ना पौधा और बगिया तो वही है.
आपकी सराहना आपका आशीर्वाद है.
सर आँखों पर.
नमस्ते.