रविवार, 24 मार्च 2019

ताक़त


कड़वे अनुभवों की 
खर-पतवार को
सोच की
उपजाऊ ज़मीन पर
जड़ें मत फैलाने देना ।
इनकी कड़वाहट 
जंगली बेल की तरह
तेज़ी से चारों तरफ़
फैल कर जकड़ लेती हैं ।
अच्छे ख़यालात को
पनपने नहीं देती ।

इसलिए हो सके तो
नियम से इन्हें
उखाड़ फेंको ।
अगर कुछ करना है ।
अगर कुछ पाना है ।
तो बहुत देर तक
कटुता को
टिकने मत देना ।
दफ़ा कर देना ।

दुखी करने वाला
हर वाक़या
कुछ सिखाने आता है ।

सीखना और दुख को
अपनी ताक़त बना लेना ।


20 टिप्‍पणियां:

  1. उत्तर
    1. आभार जोशीजी.
      कोशिश करने वालों की हार नहीं होती !
      : )
      ऐसा दृढ़ विश्वास लेकर ही जीवन जिया जा सकता है.

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  2. बहुत सुंदर बात कही है आपने।
    प्रेरक सृजन।

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    1. मन की वीणा बज उठी !
      प्रेरणा का बीज
      जाने कौनसा पंछी
      मन की मिटटी में
      बो जाता है.
      फूल खिलते हैं तो
      नाम हमारा आता है !

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  3. दुखी करने वाला
    हर वाक़या
    कुछ सिखाने आता है ।
    बिल्कुल सही कहा है आपने ।

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    उत्तर
    1. आभार सिन्हाजी.
      सदा बड़ों ने समझाया
      दुःख जब जब आता है,
      सुख का मोल
      बता कर कर जाता है.

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  4. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (26-03-2019) को "कलम बीमार है" (चर्चा अंक-3286) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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    उत्तर
    1. शास्त्रीजी आभार.
      कलम वैसा ही लिखती है, जैसा हम सोचते हैं.
      फिर भी देखते हैं, आपका क्या कहना है.

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  5. सराहनीय विचार सुंदर रचना👌

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    1. धन्यवाद श्वेताजी.
      साहस बटोर बटोर कर
      शक्ति जुटाना सीखा.

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  6. उत्तर
    1. अनुराधाजी, आपका स्नेह प्रोत्साहित करता है.

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  7. बहुत ही बढ़िया रचना। बधाई।

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    उत्तर
    1. वीरेंद्र सिंह जी, नमस्ते पर आपका स्वागत है.
      रचते रचते मेहँदी रंग लाती है.
      अभी अभी तो लगाई है.
      फिर भी लगता आपको
      खुशबू खींच लाई है.

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  8. उत्कृष्ट विचार ...., सुन्दर रचना ।

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    उत्तर
    1. धन्यवाद मीना जी.
      तिनका तिनका सुविचार का नीड़ बनाना है.
      फिर सबके संग वहीँ बस जाना है.

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  9. उत्तर
    1. ऋतुजी,धन्यवाद.
      विचारों का आदान प्रदान हो.
      व्यर्थ की बहस ना हो.
      तो कितना मज़ा आये !
      देश का कायाकल्प हो जाए.

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  10. बहुत नई सोच के लिए बधाई |उम्दा विचार |

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  11. धन्यवाद आशाजी.
    पौधे पर फूल नया खिला हो शायद.
    वर्ना पौधा और बगिया तो वही है.
    आपकी सराहना आपका आशीर्वाद है.
    सर आँखों पर.
    नमस्ते.

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