क्या आज है हिन्दी दिवस ?
भाषा का उत्सव है आज !
करना क्या है बरखुरदार ?
दिवस मनाने का आचार
कैसे दें भाषा को सम्मान ?
ज्ञान न देना घिसा-पिटा !
नहीं करानी प्रतियोगिता !
बजट खर्चने की प्रक्रिया !
धर-पकङ प्रतियोगी लाना !
सहयोग करने की याचना !
सच है ये कहना आपका ।
भाषा की न आचार संहिता
और न ही मापने का फीता !
भाषा का अपना ही संसार ।
और सहजता का व्यवहार ।
हिन्दी तो बङी ही मिलनसार !
विविधता अपनाने को तैयार !
बुनने भाषाओं का ताना-बाना
लगा रहता है मिलना-जुलना ।
खुले हमेशा शब्दकोश के द्वार।
हर भाषा की है स्वतंत्र यात्रा ।
सदियों से बहती संप्रेषण धारा ।
जब जिस घाट से गुज़री नदिया
इक नया नाम और स्वाद मिला ।
बोलियों का जुङता गया कुनबा ।
सार्वभौमिकता हिन्दी की गरिमा ।
पुल बन कर भाषाओं को जोङा ।
संपर्क भाषा का नाम कमाया !
अब हमको क्या करना है भला !
भाषा बोलने का लेना है मज़ा !
सुनिए और सुनाइए कथा कविता !
और कभी कोई गीत छुटपन वाला !
आसान लगे शायद हिन्दी में गाना !
या धीर-गंभीर सिद्धांत समझाना ।
विद्यार्थियों को पहेलियाँ बुझाना ।
कहावतों के चटपटे किस्से लपेटना !
लोकोक्तियों का इतिहास समझना !
हिन्दी में बोलना,मेसेज टाइप करना,
हिन्दी में अभिवादन,अलविदा कहना ।
देवनागरी,बारहखङी में करना संवाद।
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क ण स प द म र य न व फ ल अ कग ट ओ ष ह ब प
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विभिन्न चित्र अंतरजाल से साभार