साहस और समर्पित भावना
अपने मानस में रोपना,
अभ्यास से सींचना,
और संकल्प से साधना
जीवन का लक्ष्य ..
परोपकारः पुण्याय ।
कई बार रोकेगी दुविधा
क्या सही था..या ग़लत था,
कौन बताएगा ?
कर के देखना ..
हाथ जलेगा जब ..तब
रोटी सेंकना आएगा,
गर्म तवे पर ।
डरना मत !
रुकना मत !
यही जीवन सूत्र
काम आएगा ।
कमज़ोर समझ ना पाएगा ।
समझा तो कर ना पाएगा ।
इसीलिए तन को सुदृढ़ करना,
मनोबल आप आएगा ।
कवच शिक्षा का सदा
करेगा तुम्हारी रक्षा ।
किंतु लक्ष्य तक तुम्हें पहुँचाएगा
एकमात्र विवेक तुम्हारा ...
और कर्मठ जीवन।
स्वामीजी आपका उद्बबोधन
जितना मन में अटक गया था
मानो पेङ पर अटकी एक पतंग,
यदि उतना भी आचरण कर पाए
तो हम पा सकेंगे आत्मिक बल..
दीजिए आशीर्वाद का संबल ।
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चित्र/डाक टिकट अन्तर्जाल से साभार
सुन्दर
जवाब देंहटाएंआपकी लिखी रचना "पांच लिंकों के आनन्द में" रविवार 14 जनवरी 2024 को लिंक की जाएगी .... http://halchalwith5links.blogspot.in पर आप भी आइएगा ... धन्यवाद! !
जवाब देंहटाएंसुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंसुन्दर सृजन
जवाब देंहटाएंकिंतु लक्ष्य तक तुम्हें पहुँचाएगा
जवाब देंहटाएंएकमात्र विवेक तुम्हारा ...
और कर्मठ जीवन।
बहुत सटीक...
आजकल शार्टकट अपनाने वाले इस पर विचार नहीं करते...
बहुत सुंदर सदेशप्रद लाजवाब सृजन ।