गुरुवार, 11 जनवरी 2024

हिन्दी का छंद स्वतंत्र



क्या आज है हिन्दी दिवस ?

भाषा का उत्सव है आज !

करना क्या है बरखुरदार ?

दिवस मनाने का आचार

कैसे दें भाषा को सम्मान ?


ज्ञान न देना घिसा-पिटा !

नहीं करानी प्रतियोगिता !

बजट खर्चने की प्रक्रिया !

धर-पकङ प्रतियोगी लाना !

सहयोग करने की याचना !


सच है ये कहना आपका ।

भाषा की न आचार संहिता

और न ही मापने का फीता !

भाषा का अपना ही संसार ।

और सहजता का व्यवहार ।


हिन्दी तो बङी ही मिलनसार !

विविधता अपनाने को तैयार !

बुनने भाषाओं का ताना-बाना

लगा रहता है मिलना-जुलना ।

खुले हमेशा शब्दकोश के द्वार।


हर भाषा की है स्वतंत्र यात्रा ।

सदियों से बहती संप्रेषण धारा ।

जब जिस घाट से गुज़री नदिया

इक नया नाम और स्वाद मिला ।

बोलियों का जुङता गया कुनबा ।


सार्वभौमिकता हिन्दी की गरिमा ।

पुल बन कर भाषाओं को जोङा ।

संपर्क भाषा का नाम कमाया !

अब हमको क्या करना है भला !

भाषा बोलने का लेना है मज़ा !


सुनिए और सुनाइए कथा कविता !

और कभी कोई गीत छुटपन वाला !

आसान लगे शायद हिन्दी में गाना !

या धीर-गंभीर सिद्धांत समझाना ।

विद्यार्थियों को पहेलियाँ बुझाना ।


कहावतों के चटपटे किस्से लपेटना !

लोकोक्तियों का इतिहास समझना !

हिन्दी में बोलना,मेसेज टाइप करना,

हिन्दी में अभिवादन,अलविदा कहना ।

देवनागरी,बारहखङी में करना संवाद।



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क ण स प द म र य न व फ ल अ कग ट ओ ष ह ब प   
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विभिन्न चित्र अंतरजाल से साभार 

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