शब्दों में बुने भाव भले लगते हैं । स्याही में घुले संकल्प बल देते हैं ।
प्रार्थना के फूल थे वो,
जो आज सुबह थे खिले ।
हर फूल एक मन्नत हो,
तो कितनी खुश्बू होगी ।
फूल भी हरसिंगार हो !
तो कैसे कोई खुश न हो !
फूल वंदना के स्वर हों ।
स्तुति के मुखर छंद हों ।
इष्ट के चरणों में हरिचंदन,
केसर तिलक धारे अक्षत ।
सुन्दर | नववर्ष की शुभकामनाएं |
धन्यवाद , जोशी जी. २०२४ मंगलमय हो.
सुंदर अभिव्यक्ति
धन्यवाद, ओंकार जी. इन फूलों के खिलने की अनुभूति ही इतनी सुन्दर है. शब्दों से पूरा नहीं पड़ता.
कुछ अपने मन की भी कहिए
सुन्दर | नववर्ष की शुभकामनाएं |
जवाब देंहटाएंधन्यवाद , जोशी जी. २०२४ मंगलमय हो.
हटाएंसुंदर अभिव्यक्ति
जवाब देंहटाएंधन्यवाद, ओंकार जी. इन फूलों के खिलने की अनुभूति ही इतनी सुन्दर है. शब्दों से पूरा नहीं पड़ता.
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