ये शहरों की रौनक ।
दिन-रात की चहल-पहल ।
ये लहलहाते खेत ।
नदी किनारे मंगल गान ।
मैदानों में दौङ लगाते,
खेलते-कूदते,पढ़ते-लिखते
अपना मुकद्दर गढते बच्चे ।
हँसती-खिलखिलाती,
सायकिल की घंटी बजाती
स्कूल जाती बच्चियाँ ।
मिट्टीु के कुल्हड़ में धुआँती
चाय की आरामदेह चुस्कियां ।
थाली में परोसी चैन देती
भाप छोङती पेट भर खिचङी ।
चमचमाते बाज़ार की गहमा-गहमी ।
आनन फानन काम पर जाते लोग ।
भावतोल करते दुकानदार, व्यापारी ।
ट्रैफिक की तेज़ बेफ़िक्र रफ़्तार !
आलोचना करने का अधिकार
अपनी बात कहने का हक़ ..
हद पार करने का भी !
घर लौट कर अपना परिवार
सकुशल देखने का सुकून,
किसकी बदौलत है ये सब ?
ये सब उन मौन वीरों की बदौलत
जो चुपचाप हमारी पहरेदारी
करते रहे बिना किसी शिकायत के
ड्यूटी पर तैनात रहे गर्वीले ।
शहीद हो गए ..घर नहीं लौटे ..
ये सारे सुख, निरापद जीवन
उनकी शहादत की बदौलत ।
खबरदार ! भूलना नहीं !
हरगिज़ यह बलिदान !!
सदैव करना शहीदों का सम्मान!
पग-पग पर करना स्मरण
वीरों का वंदनीय बलिदान !
बनी रहे तिरंगे की आन,बान और शान
सोच-समझ कर सदा करना ऐसे काम ।
जतन से संभालना जवानों के
स्वाभिमानी साहसी परिवारों को जो
खो बैठे अपने एकमात्र अवलंबन को ।
जिन्होंने प्राण तक कर दिए न्यौछावर
उनके हम जन्म-जन्मान्तर को हुए कृतज्ञ ।
अब ज़िम्मेदारी निभाने को हो जाएं सजग ।
याद रहे हमारे सारे सुख-साधन,जीवन,
स्वतंत्रता इनके बल बूते पर जिन्होंने
सौंप दिया हमको अपना भारत ।
श्वास-श्वास करती शहीदों का अभिनंदन ।
इनके पराक्रम की बदौलत हमारा जीवन ।
चित्र इंटरनेट समाचार से साभार