रविवार, 11 अप्रैल 2021

किसकी बदौलत है ये सब ?

ये शहरों की रौनक ।
दिन-रात की चहल-पहल ।
ये लहलहाते खेत ।
नदी किनारे मंगल गान ।

मैदानों में दौङ लगाते,
खेलते-कूदते,पढ़ते-लिखते 
अपना मुकद्दर गढते बच्चे ।
हँसती-खिलखिलाती,
सायकिल की घंटी बजाती
स्कूल जाती बच्चियाँ ।

मिट्टीु के कुल्हड़ में धुआँती
चाय की आरामदेह चुस्कियां ।
थाली में परोसी चैन देती
भाप छोङती पेट भर खिचङी ।

चमचमाते बाज़ार की गहमा-गहमी ।
आनन फानन काम पर जाते लोग ।
भावतोल करते दुकानदार, व्यापारी ।
ट्रैफिक की तेज़ बेफ़िक्र रफ़्तार !

आलोचना करने का अधिकार 
अपनी बात कहने का हक़ ..
हद पार करने का भी !

घर लौट कर अपना परिवार 
सकुशल देखने का सुकून,
किसकी बदौलत है ये सब ?

ये सब उन मौन वीरों की बदौलत 
जो चुपचाप हमारी पहरेदारी
करते रहे बिना किसी शिकायत के
ड्यूटी पर तैनात रहे गर्वीले ।
शहीद हो गए ..घर नहीं लौटे ..
ये सारे सुख, निरापद जीवन
उनकी शहादत की बदौलत ।

खबरदार ! भूलना नहीं !
हरगिज़ यह बलिदान !!
सदैव करना शहीदों का सम्मान!
पग-पग पर करना स्मरण
वीरों का वंदनीय बलिदान !
बनी रहे तिरंगे की आन,बान और शान
सोच-समझ कर सदा करना ऐसे काम ।
जतन से संभालना जवानों के 
स्वाभिमानी साहसी परिवारों को जो 
खो बैठे अपने एकमात्र अवलंबन को ।

जिन्होंने प्राण तक कर दिए न्यौछावर
उनके हम जन्म-जन्मान्तर को हुए कृतज्ञ ।
अब ज़िम्मेदारी निभाने को हो जाएं सजग ।

याद रहे हमारे सारे सुख-साधन,जीवन,
स्वतंत्रता इनके बल बूते पर जिन्होंने 
सौंप दिया हमको अपना भारत ।

श्वास-श्वास करती शहीदों का अभिनंदन ।
इनके पराक्रम की बदौलत हमारा जीवन ।




चित्र इंटरनेट समाचार से साभार 

11 टिप्‍पणियां:

  1. नमन शहीदों को । हमेशा देश के इन प्रहरी को याद रखना चाहिए।।इनकी वजह से ही हम सुरक्षित है ।सुंदर और अर्थपूर्ण रचना

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  2. आपकी लिखी रचना "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" आज रविवार 11 अप्रैल 2021 शाम 5.00 बजे साझा की गई है.... "सांध्य दैनिक मुखरित मौन में" पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  3. श्वास-श्वास करती शहीदों का अभिनंदन ।
    इनके पराक्रम की बदौलत हमारा जीवन ।



    बिलकुल सही कहा आपने नूपुरं जी,ये है तो हम सुकून की नींद सोते है,धन्य है वो मायें जिन्होंने देश पर अपने लाल न्योछावर किये है। सार्थक सृजन ,सत-सत नमन वीर शहीदों को

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  4. बहुत सार्थक लिखा है नूपूरं जी वीर सैनिकों के दम पर हम सुरक्षित हैं
    सुंदर सृजन।

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  5. नमस्ते,
    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा सोमवार ( 12-04 -2021 ) को 'भरी महफ़िलों में भी तन्हाइयों का है साया' (चर्चा अंक 4034) पर भी होगी।आप भी सादर आमंत्रित है।

    चर्चामंच पर आपकी रचना का लिंक विस्तारिक पाठक वर्ग तक पहुँचाने के उद्देश्य से सम्मिलित किया गया है ताकि साहित्य रसिक पाठकों को अनेक विकल्प मिल सकें तथा साहित्य-सृजन के विभिन्न आयामों से वे सूचित हो सकें।

    यदि हमारे द्वारा किए गए इस प्रयास से आपको कोई आपत्ति है तो कृपया संबंधित प्रस्तुति के अंक में अपनी टिप्पणी के ज़रिये या हमारे ब्लॉग पर प्रदर्शित संपर्क फ़ॉर्म के माध्यम से हमें सूचित कीजिएगा ताकि आपकी रचना का लिंक प्रस्तुति से विलोपित किया जा सके।

    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।

    #रवीन्द्र_सिंह_यादव

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  6. याद रहे हमारे सारे सुख-साधन,जीवन,
    स्वतंत्रता इनके बल बूते पर जिन्होंने
    सौंप दिया हमको अपना भारत ।
    बहुत सुंदर और सार्थक अभिव्यक्ति। शहीदों को नमन 🙏

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