नन्ही गौरैया आओ तुम ।
अपना घर बसाओ तुम ।
अपना घर बसाओ तुम ।
मेरे छोटे-से घर की
छत का कोना, खिड़की,
बालकनी, दुछत्ती, अहाता,
सब बाट जोहते हैं तुम्हारी ।
छत का कोना, खिड़की,
बालकनी, दुछत्ती, अहाता,
सब बाट जोहते हैं तुम्हारी ।
यहाँ घोंसला बनाओ ।
दिन भर दाना चुगो ।
प्यास लगे तो पानी पियो ।
ये सब यहाँ मिलेगा ।
और प्यार मिलेगा ।
दिन भर दाना चुगो ।
प्यास लगे तो पानी पियो ।
ये सब यहाँ मिलेगा ।
और प्यार मिलेगा ।
ज़्यादा कुछ नहीं,
देने को
हमारे पास भी ।
तुम्हें भी तो
चाहिए बस इतना ही ।
देने को
हमारे पास भी ।
तुम्हें भी तो
चाहिए बस इतना ही ।
तुम्हारा रहना आसपास
होता है शुभ ।
तुम चहचहाती हो जब,
चहकने लगता है जीवन ।
होता है शुभ ।
तुम चहचहाती हो जब,
चहकने लगता है जीवन ।
गौरैया के घर की चित्रकारी : श्रीमती रेखा शांडिल्य