जब तक होश है।
रग-रग में जोश है।
जिगर में
जोश के बुलबुले नहीं ,
जोश के जुगनू भी नहीं
जो पलक झपकने तक ही
मौजूद रहें।
ये जो
कौंधता है
मेरे वजूद में ,
बिजली की तरह . .
ये बरसों की तपस्या है।
ठोकर खा-खा कर जो संभला है,
आग में तप कर जो निखरा है,
वो फ़ौलादी हौसला है।
ये वीरता का अखंड दिया है।
जो अलख जगाने वाला है।
तिरंगे की सौगंध है।
माँ से बच्चों का वादा है।
दुष्टता का शत्रु है।
मानवता का मित्र है।
जब तक होश है।
रग रग में जोश है।
बहुत सुन्दर
जवाब देंहटाएंसादर
धन्यवाद अनीताजी.
हटाएंइस बार वीरों का वसंत आया है.
बहुत खूब
जवाब देंहटाएंशुक्रिया रितुजी.
हटाएंदेश के वीरों को नमन.
जितना भी कहें सो कम.
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल शुक्रवार (01-03-2019) को "पापी पाकिस्तान" (चर्चा अंक-3262)) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
आभार यशोदा जी.
जवाब देंहटाएंमन की बात और अधिक पाठकों तक पहुँचाने के लिए.
धन्यवाद शास्त्रीजी.
जवाब देंहटाएंलोग तो वही थे.
बुनियाद ही बुरी थी.
वीर रस की एक बेहतरीन कविता।
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
iwillrocknow.com
हमारे वीरों का पराक्रम ही इतना अद्भुत है !
हटाएंशब्दों में जितना भी कहें कम है.
आपका स्वागत है आभार सहित नीतीश जी.
प्रोत्साहन और निमंत्रण के लिए धन्यवाद.
कविता की आखिरी पंक्तियाँ काफी कुछ कह गईं. उत्कृष्ट
जवाब देंहटाएंधन्यवाद संजयजी.
जवाब देंहटाएंकितना भी कहो.
कैसे भी कहो,
कम लगता है.
मन में भावों का
समुद्र उमड़ रहा है.
Good
जवाब देंहटाएंThank you.
हटाएंPlease do keep visiting.
बहुत लाजवाब.... जोशपूर्ण रचना....
जवाब देंहटाएंवाह!!!
सुधा जी, धन्यवाद ।
हटाएंकुछ ऐसा कर दिखाया है इन जवानों ने ।
सोये प्राणों को जगाया है इन जवानों ने ।