दिलों में जोश आया है।
अर्जुन ने आज फिर
गांडीव उठाया है।
आज हवाओं ने झूम कर
फ़ख्र का परचम लहराया है।
आज नभ में शौर्य का
प्रखर सूर्य जगमगाया है।
बारह रणवीरों ने आज
अभय का कर शंखनाद
आतंक को ललकारा है !
शठता को पछाड़ा है।
जननी जन्मभूमि का,
माँ भारती के अश्रुजल का,
अपनी माँ के दूध का
क़र्ज़ उतारा है।
देश सेवा में जिस-जिसने
जीवन का बलिदान किया,
हर उस सेनानी का
मान बढ़ाया है।
आज बड़े दिनों के बाद
शहीदों के अपनों को
थोड़ा चैन आया है।
एक आंसू ढुलक आया है।
आज बड़े दिनों बाद
दिलों में जोश आया है।
अर्जुन ने आज फिर
गांडीव उठाया है।
बेहतरीन रचना नुपुर जी
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अनुराधाजी.
हटाएंबलिदानियों का आभार व्यक्त करने को शब्द कम पड़ जाते हैं.
आज बड़े दिनों बाद
जवाब देंहटाएंदिलों में जोश आया है।
अर्जुन ने आज फिर
गांडीव उठाया है।
दुश्मन को शौर्य की याद दिलाती सुंदर रचना। बहुत-बहुत बधाई आदरणीय नुपुर जी
आभार पुरुषोत्तम सिन्हा जी.
हटाएंब्लॉग पर आपका सहर्ष स्वागत है.
बेहतरीन रचना आदरणीय
जवाब देंहटाएंसादर
अनीता जी, शुक्रिया.
हटाएंजय हिन्द !
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (05-03-2019) को "पथरीला पथ अपनाया है" (चर्चा अंक-3265) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'
ॐ नमः शिवाय
हटाएंधन्यवाद शास्त्रीजी.
ब्लॉग बुलेटिन की दिनांक 03/03/2019 की बुलेटिन, " अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता? “ , में आप की पोस्ट को भी शामिल किया गया है ... सादर आभार !
जवाब देंहटाएंधन्यवाद, ब्लॉग बुलेटिन.
हटाएंअभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का मान रखना हम भूल जाते हैं.
Very Inspiring poems woven with emotions and energy. This poem reminds of a verse in Chap 8 , 6th Canto in Srimad Bhagavatham:
जवाब देंहटाएं"tvaṁ yātudhāna-pramatha-preta-mātṛ–
piśāca-vipragraha-ghora-dṛṣṭīn
darendra vidrāvaya kṛṣṇa-pūrito
bhīma-svano ’rer hṛdayāni kampayan"
O best of conchshells, O PAñchajanya in the hands of the Lord, you are always filled with the breath of Lord Kṛṣhṇa. Therefore you create a fearful sound vibration that causes trembling in the hearts of enemies like the Rākṣasas, pramatha ghosts, Pretas, Mātās, and Piśācas with fearful eyes.
Bhagavan's words are nectar while He is nectar himself as madhurashtakam says,
"अधरं मधुरं वदनं मधुरं नयनं मधुरं हसितं मधुरं ।
हृदयं मधुरं गमनं मधुरं मधुराधिपते रखिलं मधुरं"
Thank you, respected sakhi.
हटाएंI am overwhelmed by your appreciation with a verse from the Shrimad Bhagwatham.
I had heard that when you blow a conch shell, it awakes the listeners from a deep slumber and at the same time it blows out the toxic and the unnecessary from your lungs because of the effort involved. In this way it cleans our thoughts and rejuvenates the surrounding environment.
May only Krishna remain in our thoughts and karma.
Hari Sharanam. Namaste.
आपकी लिखी रचना आज ," पाँच लिंकों का आनंद में " बुधवार 6 मार्च 2019 को साझा की गई है..
जवाब देंहटाएंhttp://halchalwith5links.blogspot.in/
पर आप भी आइएगा..धन्यवाद।
धन्यवाद पम्मीजी.
हटाएंबहुत सुंदर प्रस्तुति।
जवाब देंहटाएंमेरे ब्लॉग पर आपका स्वागत है।
iwillrocknow.com
धन्यवाद नीतीश जी.
हटाएंअप्रतिम सुंदर ¡¡
जवाब देंहटाएंबहुत सुंदर रचना नुपुर जी दिल को सुकून देती सी ।
मन की वीणा बज रही हो
हटाएंतो क्यूँ ना दिल को सुकूं मिले
तेजस्वी वीर जब रक्षा करें
तो दिलों में चैन क्यूँ ना हो
हार्दिक आभार
नमस्कार
बहुत सुंदर और ओजस्वी शब्द - धार। बधाई और आभार।
जवाब देंहटाएंउधर कटार की धार पर जब जब चले वो
हटाएंइधर भावनाओं की धारा बहने लगी
सादर धन्यवाद विश्वमोहन जी.
आज बड़े दिनों के बाद
जवाब देंहटाएंशहीदों के अपनों को
थोड़ा चैन आया है।
एक आंसू ढुलक आया है।
बहुत बहुत बहुत ही सुंदर रचना ,देशप्रेम से ओतप्रोत ,वीरो को सत सत नमन
वीरों को सदा-सर्वदा नमन
हटाएंउनके होने से आबाद हैं हम
विनम्र धन्यवाद कामिनी जी.
नमस्ते पर आपका सस्नेह स्वागत है.
वाह्ह्ह.. ओजपूर्ण बेहद सुंदर रचना..👍👌👌
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार श्वेता जी.
हटाएंआपका स्नेह बना रहे.
बहुत लाजवाब...
जवाब देंहटाएंवाह!!!
प्रोत्साहन के लिए हार्दिक आभार सुधा जी.
हटाएंसादर नमस्ते.