सीमा पर फ़ौजी तो
हमेशा ही तैनात रहा।
क्या हमें भी अपने
कर्तव्य का भान रहा ?
युद्ध
हर जगह चल रहा है।
युद्ध
हर कोई लड़ रहा है।
कोई सीमा का प्रहरी है।
कोई घर में युद्ध बंदी है।
युद्ध की कोई
सीमा है क्या ?
युद्ध की कोई
गरिमा है क्या ?
भीतर हम सबके
एक लक्ष्मण रेखा है।
अपने सिवा इसे
किसी ने नहीं देखा है।
लेकिन हम सबको पता है.
रावण क्यों बुरा है।
सीमा पर जब जवान
जान हथेली पर लिए
लड़ रहा है ..
जवान का परिवार
अपनी भावनाओं से
जूझ रहा है ..
देश के
हर नागरिक की भूमिका,
कृतज्ञ हो कर,
धैर्य धर यह सोचना ..
मुझे क्या करना है ?
मुझे क्या करना है ?
कैसे सेना के त्याग का
अभिनन्दन करना है ?
हमको अपने-अपने बल पर,
अपने-अपने मोर्चे पर
रोज़ एक युद्ध लड़ना है।
रोज़ एक युद्ध जीतना है।
अंदरूनी ताक़त से
ज़िम्मेदार भारत
बने रहना है।
दृढ़ संकल्प और मेहनत से,
खुशहाल भारत गढ़ना है.