रविवार, 10 फ़रवरी 2019

ऐसा वर दो माँ



सरस्वती माँ ।
वरद हस्त शीश पर रख दो माँ ।
सहस्त्र सजल नमन स्वीकार करो माँ ।

वीणा के तार झंकृत किए
जिस वेला आपने ।
वसंत फूला जगत में
और अंतर्मन में ।

ऐसा वर दो माँ
विद्या को वरूँ
किंतु अपने तक ना रखूं
जितना मिले उतना बांटूं ।

ऐसा वर दो माँ
कला की साधना करूं
पर प्रदर्शन की परिधि में
मेरी कला सीमित ना रहे । 
कलात्मक अभिव्यक्ति से
जीवन की अनुभूति करुं ।

ऐसा वर दो माँ
जीवन को सजग जी सकूं ।
विद्या ग्रहण कर सबल बनूं ।
कीचड़ में कमल बन खिलूं ।
अंधकार में दीपक बन बलूं ।
चट्टान की तरह अडिग रहूँ  ।
वट वृक्ष सम गहन धैर्य धरूँ ।
मिट्टी में घुलमिल विनय गहूँ ।

ऐसा वर दो माँ ।
जाग्रत रहे विवेक ।
विसर्जित हों मन के क्लेश ।
विचारों की जड़ता हो दूर ।
हृदय तल हो इतना पावन ।
मन में आन बसो तुम माँ ।


छायाचित्र साभार - आशीष शांडिल्य 


Featured post on IndiBlogger, the biggest community of Indian Bloggers


गुरुवार, 7 फ़रवरी 2019

जीवन का जाप


पथिक, 
चलते रहना 
तुम्हारी नियति है.

पर यदा-कदा 
विश्राम करना.
चना-चबैना 
जो अपनों ने 
साथ बांधा था,
उस पाथेय से भी
न्याय करना. 

छाँव घनी हो 
जिस वृक्ष की 
उसकी छाया में 
कुछ देर बैठना.

अपने पाँव के छाले 
देखना और सहलाना.
शीतल बयार की 
थपकी पाकर 
चैन की नींद 
सो जाना.

गहरी नींद में भी 
जीवन के कई 
प्रश्नों के उत्तर 
और समाधान 
मिल जाते हैं.

कुछ पल का सुकून 
बल देता है अपार,
पथ पर चलते रहने का
करते हुए जीवन का जाप.




Featured post on IndiBlogger, the biggest community of Indian Bloggers


मंगलवार, 5 फ़रवरी 2019

चलो फिर से




चलो 
फिर से शुरु
करते हैं जीना ।

इस बार
शायद आ जाए
ठीक से जीना ।

शत-प्रतिशत
मुनाफ़े का सौदा
नहीं है जीना ।

बहुत जानो
अगर सीख पाओ
थोड़े में बसर करना ।

बहुत समझो
अगर आ जाए
हार कर जीतना ।

बूंद-बूंद
जीवन की सरसता
का आनंद लेना ।

पल-पल
भाग्य रेखाओं में
मेहंदी की तरह रचना ।

चलो
फिर से शुरु
करते हैं जीना ।

शनिवार, 2 फ़रवरी 2019

फुर्र




जाने कहाँ से
एक रंग-बिरंगी 
चिड़िया छोटी-सी
खिड़की पर आ बैठी ।
जान ना पहचान
बिन बुलाई मेहमान !
पर जान पड़ी
अपनी-सी ।
स्वागत को 
हाथ बढ़ाया ही था ..
कि उड़ गई
फुर्र !


जता गई ..
आनंद की अनुभूति
होती है क्षणिक ।
हृदय के तार
झंकृत कर जाती है,
तरंग जो एक मधुर
रागिनी बन जाती है ।
जिसे वही चिड़िया
किसी दिन
किसी और को सुनाती है ।
अनायास ही,
खिड़की पर बैठी
चहचहाती हुई ।
और फिर वही ..
एक दो तीन
और फुर्र !



Featured post on IndiBlogger, the biggest community of Indian Bloggers


मापदंड



उचट जाता है मन अक्सर 
जीवन की दुविधा ढ़ोते-ढ़ोते ।

बार-बार सोचते-सोचते
फ़ैसले जो लिए थे
बहुत सोच-समझ के
क्या वास्तव में सही थे ?

क्योंकि कई बार
सही का मापदंड
होती है सफलता ।

फिर विवेक है कहता,
यही तो है सुंदरता ।

हर बार संभव नहीं जीतना ।
पर आ गया ना अच्छा खेलना ?


शुक्रवार, 1 फ़रवरी 2019

हिंदी की ब्लॉग गली क्यों रहे संकरी ?




हिंदी में बस इतना ही ?

और बस ऐसा ही लेखन उपलब्ध है हिंदी ब्लोग्स पर ?
अंग्रेज़ी ब्लोग्स की तरफ़ देखो ! कितनी विविधता और कितने अच्छे ब्लोग्स हैं !

ऐसी प्रतिक्रिया अक्सर सुनने को मिलेगी . हिंदी ब्लॉग दुनिया के बारे में. इस बात में कुछ तथ्य भी है.
यह तुलना हिंदी और अंग्रेज़ी में लेखन की नहीं पर ब्लॉग संसार में हिंदी ब्लॉग की अवस्था से संबंधित है.
हिंदी में अच्छा लिखने वालों को ब्लॉग संसार में कम पाया जाता है. लोकप्रिय प्लेटफॉर्म्स पर बहुत सीमित प्रतिभा वाले नज़र आते हैं. जहां तक हिंदी लेखन का सवाल है.

ऐसे में ब्लॉग पर अच्छा साहित्य उपलब्ध करने वालों को प्रोत्साहित करना बहुत आवश्यक और सराहनीय कार्य है. इस पोस्ट को पढने वाले ब्लॉगर अच्छी रचनाओं को सामने लाने के लिए iblogger की नियमित गतिविधियों का अनुसरण करें और इनमें शामिल भी हों. हाल ही में हिंदी ब्लॉगर के लिए ब्लॉगर ऑफ़ द इयर २०१९ प्रतियोगिता का आयोजन किया है.

हिंदी ब्लॉगर को प्रोत्साहन देने के लिए आयोजित इस प्रतियोगिता की प्रविष्टियों को पढना रोचक होगा.

इसी प्लेटफार्म पर www.experienceofindianlife.com की पोस्ट्स बहुत दिलचस्प लगीं.
सुश्री अभिलाषा चौहान का यह ब्लॉग भारतीय जीवन शैली के परिप्रेक्ष्य से मन के भावों को और जीवन के अनुभवों को सहज भाव से विश्लेषण करते हुए कविता, कहानी, लेख के माध्यम से अभिव्यक्त करता है. शीर्ष स्थान का दावेदार है.

 Experience Of Indian Life

पढ़िए. प्रोत्साहन मिलेगा तो हिंदी ब्लॉग जगत समृद्ध होगा. सशक्त रचनाओं से.
प्रतिभागिता सबसे बड़ा प्रोत्साहन होगा. स्वागत है. नमस्ते. 

सोमवार, 21 जनवरी 2019

इस दिन का नेग




सूरज सुबह सुबह
चढ़ कर
जा बैठा है
आकाश की मुंडेर पर ।

रात की ओस से
भीजे बादल
डाल दिए हैं
अलगनी पर
एक तरफ़
सूखने के लिए ।

पंछी निकले हैं
प्रभात फेरी के लिए ।

किरणों की वंदनवार
झिलमिला रही है,
धरती के इस छोर से
उस छोर तक ।

हर रोज़ की तरह
ज़िंदगी ने
खोल दी है
अपनी दुकान ।

मेहनत करो
और जीतो
सुकून का ईनाम ।

एक नया दिन
सीना ताने
तैयार है,
ड्यूटी पर
जाने के लिए ।

और तुम्हें साथ
ले जाने के लिए ।

क्योंकि सूरज
बुला रहा है तुम्हें
कब से ।

चलो चलें ।
इस दिन का नेग
जुटाने के लिए ।


            """"""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""""

पहली बार ऐसा हुआ। 
एक युवा पाठक ने 
इतने मन से 
पढ़ी यह बात। 
ऊपर जुड़ी water colour पेंटिंग बना डाली। 
देखिए क्या खूब मिला !
सबसे निराला !
इस दिन का नेग !!
Anmol Mathur नन्हे पाठक का 
तहे-दिल से शुक्रिया !