कोरी मटकी देख कर
मन करता है
खड़िया-गेरू से
बेल-बूटे बना दूँ ।
खड़िया-गेरू से
बेल-बूटे बना दूँ ।
कोरा दुपट्टा देख कर
मन करता है
बांधनी से
लहरिया रंग डालूँ ।
मन करता है
बांधनी से
लहरिया रंग डालूँ ।
खाली दीवार देख कर
मन करता है
रोली के
थापे लगा दूँ ।
मन करता है
रोली के
थापे लगा दूँ ।
कोरा कागज़ देख कर
मन करता है
वर्णमाला से
वंदनवार बना दूँ ।
मन करता है
वर्णमाला से
वंदनवार बना दूँ ।
उजड़ी क्यारी में फूल खिला दूँ ।
वीराने में बस्ती बसा दूं ।
चौखट पर दिया जला दूं ।
आंगन में अल्पना बना दूं ।
हाथों में मेंहदी लगा दूँ ।
माथे पर तिलक कर दूँ ।
दूधिया हँसी को डिठौना लगा दूँ ।
भोलेपन को नज़र का टीका पहना दूँ ।
खेतों में मीलों सरसों बिछा दूँ ।
वीराने में बस्ती बसा दूं ।
चौखट पर दिया जला दूं ।
आंगन में अल्पना बना दूं ।
हाथों में मेंहदी लगा दूँ ।
माथे पर तिलक कर दूँ ।
दूधिया हँसी को डिठौना लगा दूँ ।
भोलेपन को नज़र का टीका पहना दूँ ।
खेतों में मीलों सरसों बिछा दूँ ।
रंग से सराबोर
इस दुनिया का
कोई भी कोना
क्यों रहे कोरा ?
इस दुनिया का
कोई भी कोना
क्यों रहे कोरा ?