झोंपड़ी में बसेरा हो
या अमीरों की बस्ती में
जहां भी बसता हो,
हर किसी के पास आज
शहद में घुला
बताशे-सा ..
शरद की नरम ठंड में
रुई के फाहों से
बादलों में दुबका..
दूधिया चाँद है ।
जहां भी बसता हो,
हर किसी के पास आज
शहद में घुला
बताशे-सा ..
शरद की नरम ठंड में
रुई के फाहों से
बादलों में दुबका..
दूधिया चाँद है ।
खुले आसमान की
बादशाहत सबके पास है ।
बादशाहत सबके पास है ।
बेइंतेहा खूबसूरत नज़ारा
अमनो-चैन की घड़ी
और दिलों में खुशी
पाकीज़ा चांदनी सी ..
कुछ देर ही सही,
इस बेशुमार दौलत का
आज हर कोई हक़दार है ।
अमनो-चैन की घड़ी
और दिलों में खुशी
पाकीज़ा चांदनी सी ..
कुछ देर ही सही,
इस बेशुमार दौलत का
आज हर कोई हक़दार है ।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (29-10-2018) को "मन में हजारों चाह हैं" (चर्चा अंक-3139) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
हार्दिक आभार राधा जी.
हटाएंशीर्षक बड़ा दिलचस्प है...मन में हज़ारों चाह हैं .....
बेहद खूबसूरत रचना
जवाब देंहटाएंख़ूबसूरती बादलों में दुबके चाँद की !
हटाएंसराहना आपकी !
अनुराधा जी धन्यवाद !
आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार 30 अक्टूबर 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!
जवाब देंहटाएंहार्दिक आभार यशोदाजी.
हटाएंआनंद की चौपाल में कल भेंट होगी.
नमस्ते.
आभार आपका शिवम् मिश्राजी.
जवाब देंहटाएंआपका आगमन होता रहे नमस्ते पर.
Excellent article! We are linking to this great content on our website.
जवाब देंहटाएंKeep up the good writing.
Thank you.
हटाएंI would appreciate if you could name the website to which my blog is being linked.
प्राकृति तो सन की साझा है ... ये भेड़ नहि करती ...
जवाब देंहटाएंचाँद तो आपकी प्रीत है ... भावपूर्ण रचना ...
जी शुक्रिया दिगंबर जी. किसी ने क्या खूब कहा है कि दुनिया की सबसे अनमोल चीज़ें बिलकुल मुफ़्त हैं ! सहज उपलब्ध हैं !
जवाब देंहटाएंबहुत ही सुन्दर रचना 🙏
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अभिलाषा जी ।
हटाएंएक बताशा चाँद से आप भी मुँह मीठा कीजिये !
बहुत ही सुन्दर रचना
जवाब देंहटाएंधन्यवाद अनीता जी.
जवाब देंहटाएंचंद्रमा का एक बताशा आपके लिए भी !
पाकीज़ा। The poem painted a hundred sweet scenes infront of my eyes.
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