स्टीफ़न हॉकिंग ने कैसे
एक अर्थपूर्ण
शानदार जीवन जिया ?
काटा नहीं . . जिया।
कुछ भी तो नहीं था,
तन के नाम पर।
पर मन भर
असीम आकाश था।
जिसमें जीवट नाम का
प्रखर सूर्य चमकता था।
संवेदनशील धैर्य का चंद्रमा
शिफ्ट ड्यूटी करता था।
विलक्षण प्रतिभा पंख फैलाये
निरंतर उड़ान भरती थी।
और एक बात थी।
इस वैज्ञानिक ने अपने
जीवन की रिक्तता का
कभी अफ़सोस नहीं किया।
मस्तिष्क की अपार संभावनाएं
अपनी सोच में समेट कर
जीवन उत्सव की तरह जिया।