शुक्रवार, 7 सितंबर 2018

मन भर आकाश


स्टीफ़न हॉकिंग ने कैसे 
एक अर्थपूर्ण 
शानदार जीवन जिया ?
काटा नहीं  . . जिया। 

कुछ भी तो नहीं था,
तन के नाम पर। 
पर मन भर 
असीम आकाश था। 
जिसमें जीवट नाम का 
प्रखर सूर्य चमकता था। 
संवेदनशील धैर्य का चंद्रमा 
शिफ्ट ड्यूटी करता था। 
विलक्षण प्रतिभा पंख फैलाये 
निरंतर उड़ान भरती थी। 
और एक बात थी। 

इस वैज्ञानिक ने अपने 
जीवन की रिक्तता का 
कभी अफ़सोस नहीं किया। 
मस्तिष्क की अपार संभावनाएं 
अपनी सोच में समेट कर
जीवन उत्सव की तरह जिया। 


13 टिप्‍पणियां:

  1. भई वाह। मेरे अन्दर का शेलडन कूपर आपको स्टेन्ड करके ओवेशन दे रहा है। हॉकिंग जी को इस नज़रिये से कम ही देखा जाता है। एक कुर्सी पे बैठे ही पूरे ब्रह्मांड की सैर कर आते थे। पढ के मज़ा आ गया।

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  2. धन्यवाद अनमोल .
    स्टीफ़न हॉकिंग थे ही इतने बेमिसाल कि स्टैंडिंग ओवेशन स्वाभाविक है .
    हम अपनी छोटी-छोटी परेशानियों को लेकर रोते रहते हैं .
    सच है ..

    "मन के जीते जीत है, मन के हारे हार ."

    आपके लिए -

    "However difficult life may seem, there is always something you can do and succeed at."

    Stephen Hawking

    "I am just a child who has never grown up. I still keep asking these 'how' and 'why' questions. Occasionally, I find an answer."

    Stephen Hawking

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  3. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा आज रविवार (09-09-2018) को "चिट्ठागिरी करने का भी उसूल होता है" (चर्चा अंक-3089)
    पर भी होगी।
    --
    सूचना देने का उद्देश्य है कि यदि किसी रचनाकार की प्रविष्टि का लिंक किसी स्थान पर लगाया जाये तो उसकी सूचना देना व्यवस्थापक का नैतिक कर्तव्य होता है।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  4. शास्त्रीजी रविवारीय बैठक में शामिल करने के लिए धन्यवाद.
    नमस्ते.

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  5. आपकी लिखी रचना "पांच लिंकों का आनन्द में" मंगलवार 11 सितम्बर 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!

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  6. बहुत खूब
    स्टीफ़न हॉकिंग तो हैम सबके आदर्श हैं।

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  7. jafar जी, सही बात है.

    स्टीफन हॉकिंग को याद करना चाहिए, उनके बारे में पढ़ना चाहिए,जब भी जीवन भार लगने लगे.

    हम छोटी-छोटी बाधाओं से हार जाते हैं.
    और वो इतनी बड़ी बाधा से नहीं हारे.

    आपका आभार.
    ब्लॉग पर आते रहिएगा.
    नमस्ते.

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  8. जोशीजी धन्यवाद.
    आपका पीठ थपथपाना बहुत मायने रखता है.
    नमस्ते.

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  9. बहुत शानदार! स्टीफ़न हॉकिंग सिर्फ अपूर्व इच्छा शक्ति और आपार बौद्धिक क्षमता को विलक्षण रूप से क्रियान्वयन का उत्कृष्ट उदाहरण है।
    बहुत सुंदर रचना।

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