क्या खूब हो अगर
तुम्हारी कमी को
मैं पूरा कर दूं !
और मेरे खाली पन्ने को
तुम भर दो !
और मेरे खाली पन्ने को
तुम भर दो !
आओ चलो !
एक तस्वीर बनाते हैं ,
मिल - जुल कर।
अपने - अपने
रंग भर कर।
एक तस्वीर बनाते हैं ,
मिल - जुल कर।
अपने - अपने
रंग भर कर।
शायद इनके मिलने से
इन्द्रधनुष बन जाये !
कितना मज़ा आये !
इन्द्रधनुष बन जाये !
कितना मज़ा आये !
या तुम अपनी बात कहो।
मैं अपनी व्यथा कहूँ।
हो सकता है ,
बात - बात में
कविता रच जाये
मेहँदी की तरह
भाग्य रेखाओं में !
मैं अपनी व्यथा कहूँ।
हो सकता है ,
बात - बात में
कविता रच जाये
मेहँदी की तरह
भाग्य रेखाओं में !
हो सकता है ना ..
जब - जब हम हाथ मिलाएं
गर्मजोशी से ,
अपनी - अपनी कमियों में
देख पायें,
नयी संभावनाएं !
जब - जब हम हाथ मिलाएं
गर्मजोशी से ,
अपनी - अपनी कमियों में
देख पायें,
नयी संभावनाएं !
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (03-09-2018) को "योगिराज का जन्मदिन" (चर्चा अंक- 3083) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
श्री कृष्ण जन्मोत्सव की
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
बहुत बढ़िया
जवाब देंहटाएंअद्भुत लेखन.
जवाब देंहटाएंवाह!!लाजवाब!!
जवाब देंहटाएंसुन्दर
जवाब देंहटाएंजोशीजी,शुभाजी,घोरेलाजी और ओंकारजी,
जवाब देंहटाएंआप सबका बहुत आभार.
पढने के लिए और हौसला-अफ़जाई के लिए.
आपके दो शब्द संबल बन जाते हैं.
पढ़ते रहिएगा.
धन्यवाद.
राधाजी, अपने पन्ने पर एक कोना देने के लिए हार्दिक आभार.
नमस्ते.