शुक्रवार, 31 अगस्त 2018

मनोबल

सब कुछ 
टूट - फूट कर 
बिखर जाये, 
छिन्न - भिन्न हो जाये, 
खो जाये  . .
कुछ भी हो जाये  . . 

आदमी चोट खाता है पर
फिर उठ खड़ा होता है। 
हिम्मत का धनी होता है। 

विसंगतियों से हारता है। 
पर हार नहीं मानता। 

वो अपाहिज हो ही नहीं सकता, 
जिसका मनोबल नहीं टूटा। 



1 टिप्पणी:

  1. शास्त्रीजी, अनोखा संयोग है कि आँखों में जो ख्वाब सजाये जाते हैं, बिना मनोबल वो ख्वाब सच नहीं होते.
    हार्दिक धन्यवाद.

    अटल रहे अटलजी की स्मृति ..
    और मार्गदर्शन करती रहे ..

    नमस्ते.

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