सब कुछ
टूट - फूट कर
बिखर जाये,
छिन्न - भिन्न हो जाये,
खो जाये . .
कुछ भी हो जाये . .
बिखर जाये,
छिन्न - भिन्न हो जाये,
खो जाये . .
कुछ भी हो जाये . .
आदमी चोट खाता है पर
फिर उठ खड़ा होता है।
हिम्मत का धनी होता है।
फिर उठ खड़ा होता है।
हिम्मत का धनी होता है।
विसंगतियों से हारता है।
पर हार नहीं मानता।
पर हार नहीं मानता।
वो अपाहिज हो ही नहीं सकता,
जिसका मनोबल नहीं टूटा।
जिसका मनोबल नहीं टूटा।
शास्त्रीजी, अनोखा संयोग है कि आँखों में जो ख्वाब सजाये जाते हैं, बिना मनोबल वो ख्वाब सच नहीं होते.
जवाब देंहटाएंहार्दिक धन्यवाद.
अटल रहे अटलजी की स्मृति ..
और मार्गदर्शन करती रहे ..
नमस्ते.