हाथ छुड़ा कर,
कभी भी एकाकी,
निर्जन जीवन पथ
पार मत करना ।
ठाकुरजी की उंगली
कस के पकड़े रहना ।
ठोकर लगी भी
पार मत करना ।
ठाकुरजी की उंगली
कस के पकड़े रहना ।
ठोकर लगी भी
तो गिरोगे नहीं ।
जो कनिष्ठा पर
गोवर्धन धारण करते हैं,
पर समर्पित भाव
को डूबने नही देते ।
वो तर्जनी पर
सुदर्शन चक्र भी
धारण करते हैं,
सौवीं ग़लती पर
क्षमा नहीं करते ।
गोवर्धन धारण करते हैं,
पर समर्पित भाव
को डूबने नही देते ।
वो तर्जनी पर
सुदर्शन चक्र भी
धारण करते हैं,
सौवीं ग़लती पर
क्षमा नहीं करते ।
इन्हीं उंगलियों पर बाँसुरी
धारण करते हैं,
जपते हैं,
राधा नाम अविराम ।
जितनी मधुर उनकी मुस्कान,
बजाते हैं मुरली
उतनी ही सुरीली,
मिसरी-सी मीठी,
मानो लोरी ।
धारण करते हैं,
जपते हैं,
राधा नाम अविराम ।
जितनी मधुर उनकी मुस्कान,
बजाते हैं मुरली
उतनी ही सुरीली,
मिसरी-सी मीठी,
मानो लोरी ।
और प्रसन्न वदन जब
हौले से हँस कर,
नतमस्तक शीश पर
रखते हैं हस्त कमल,
सकल द्वंद, भव फंद,
हो जाते हैं दूर ।
हौले से हँस कर,
नतमस्तक शीश पर
रखते हैं हस्त कमल,
सकल द्वंद, भव फंद,
हो जाते हैं दूर ।
इसलिए वत्स,
कभी मत छोड़ना,
कस कर
उंगली पकड़े रहना ।
कभी मत छोड़ना,
कस कर
उंगली पकड़े रहना ।
आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल सोमवार (23-07-2018) को "एक नंगे चने की बगावत" (चर्चा अंक-3041) (चर्चा अंक-3034) पर भी होगी।
जवाब देंहटाएं--
चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
--
हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
सादर...!
राधा तिवारी
बहुत सुंदर ।
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