आज
यह फूल खिला
उस पौधे पर,
जिस पौधे की
लगभग इति
हो चुकी थी ।
उस पौधे पर,
जिस पौधे की
लगभग इति
हो चुकी थी ।
पर जब
किसी ने कहा,
चमत्कारी
होती है आशा..
और सेवा,
उस भरोसे ने
पौधा फेंकने
नहीं दिया ।
किसी ने कहा,
चमत्कारी
होती है आशा..
और सेवा,
उस भरोसे ने
पौधा फेंकने
नहीं दिया ।
दिन-रात बस
मन में मनाया
जी जाए पौधा ।
मन में मनाया
जी जाए पौधा ।
मिट्टी खाद धूप जल
और देखभाल ने
पौधे में रोप दी
जिजीविषा ।
आशा ने
औषधि का
काम कर दिखाया ।
औषधि का
काम कर दिखाया ।
आज सुबह देखा
ऐसा फूल खिला !
मानो किसी ने
मांगी हो दुआ ।
ऐसा फूल खिला !
मानो किसी ने
मांगी हो दुआ ।