पर पैरों से लाचार था ।
बैसाखी लेकर चलता था ।
किसी काम का ना था ..
खेत क्या जोतता ?
दूर बैठा तकता रहता ।
गुपचुप रोता रहता ।
गोविंदा चुपचाप बैठा
टूटे - फूटे सामान का
कुछ बना रहा था .
रोने से कुछ करना अच्छा ।
बच्चों ने घेर रखा था ।
माँ चली गई ।
बिटिया रानी ..
बहुत बदलेगी ज़िन्दगी अभी ।
तुम भी बहुत बदलोगी ।
माँ के लिए,
जो आंसू आंखों में आए,
उन्हें निरर्थक बहने मत देना ।
अपने हृदय में बो देना ।
फिर पूरे अधिकार से
जीवन भर सींचना ।
माँ की स्मृति को
अलमारी में मत सहेजना ।
उनकी एक-एक बात को
अपने आचरण में
जीवित रखना ।
जीवन पर्यंत ..
आराधना करना ।
उनकी व्यथा को
सृजन का रूप देना ।
उनके स्वप्नों को
अपने रंग देना ।
माँ कभी
छोड़ के जाती है क्या ?
जब जी हो ..
मन के दर्पण में
उनको देखना ।
तना झुक गया है,
फिर भी,
तन कर
चुनौती दे रहा है,
आने वाले
समय की
अनिश्चितता को ।
या झुक कर
सलाम कर रहा है,
सर पर तने
नीले आकाश की
असीम संभावनाओं को ।
ये पेड़ ज़िद्दी,
बन कर पहेली,
कब से
खड़ा है
मेरे रास्ते में,
ठेल रहा है मुझे
ठहर कर
सोचने को ।