रात को जब सोने लगो
दिन भर के सपनों को
कंधों से उतार कर
ताक पर मत धर देना ।
सपनों को समेट कर
हौले से धूल झाड़ कर
अच्छी तरह तहा कर
हथेली की रेखाओं के बीच
सहेज कर रख देना ।
सुबह जब उठो
बंधी मुट्ठी जब खोलो
सबसे पहले ध्यान करो ..
तुम्हारी हथेली में ही है
लक्ष्मी सरस्वती और गोविंद का वास ।
अपने प्रयत्न से
पानी है तुम्हें
समृद्धि और विद्या ।
प्रयास करो, स्मरण रहे
तुम्हारे गोविंद हैं आधार ।
स्वप्नों की परतें खोलो
परत दर परत समझो
स्वप्न का शुभ संकेत ।
अंतर्मन तब तक मथो
जब तक सार ना पा जाओ ।
फिर उठो और जतन करो ।
एकनिष्ठ कर्म ही जीवन का सार
और भक्त के गोविंद हैं आधार ।
सत्यनिष्ठ के गोविंद हैं आधार
स्वयं सिद्ध करो काज
स्वप्न करो साकार
गोविन्द हैं आधार
और अपना हाथ जगन्नाथ