शनिवार, 11 जून 2022

वह एक क्षण



सही वक्त पर 

एक फूल भी खिल जाए

तो बचा लेता है 

किसी को मुरझाने से

टूट कर बिखर जाने से ।


जब ज़रूरत हो तब

कोई साथ खङा हो जाए

कंधे पर रख कर हाथ

तो लौट आता है 

खोया हुआ आत्मविश्वास।


समय रहते ही

कोई जो पूछ ले 

पास बैठे अनमने

अपरिचित का हाल,

तो हो सकता है 

टल जाए वह

आत्मघाती घङी,

जब धक्के खा-खा कर 

आदमी का चिंतन

हो जाता है चेतना शून्य ।


एक पल ही होता है वह

जिसकी धुरी पर 

टिका होता है विवेक,

तट से जा लगती है 

भूली-भटकी जीवन नैया..

इस पार या उस पार 


एक ही क्षण होता है वह

दैदीप्यमान आत्मबोध का,

जब अंतर के हाहाकार से

कांपती लौ को स्थिर कर 

साध लेता है धैर्य का संपुट ।



15 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत अच्छी बात कही है आपने - अच्छी भी, सच्ची भी।

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  2. सादर नमस्कार ,

    आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल रविवार(12-6-22) को "सफर चल रहा है अनजाना" (चर्चा अंक-4459) पर भी होगी।
    आप भी सादर आमंत्रित है,आपकी उपस्थिति मंच की शोभा बढ़ायेगी।
    ------------
    कामिनी सिन्हा

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  3. सच है कई बार तिनके का सहारा ही बहुत होता है ...
    कोई साथ हो वैसे उसका एहसास भी बहुत होता है ...

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  4. सटीक और सारगर्भित बात कही !!सुंदर रचना !!

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  5. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना रविवार १२ जून २०२२ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

    जवाब देंहटाएं
  6. जी नमस्ते,
    आपकी लिखी रचना रविवार १२ जून २०२२ के लिए साझा की गयी है
    पांच लिंकों का आनंद पर...
    आप भी सादर आमंत्रित हैं।
    सादर
    धन्यवाद।

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  7. इस पर कल टिप्पणी करी थी । दिख नहीं रही .....
    एक पल होता है जो या तो बच लेता है ज़िन्दगी या फिर खत्म कर देता है जीवन । गंभीर बात कहती रचना ।

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  8. एक ही क्षण होता है वह

    दैदीप्यमान आत्मबोध का,

    जब अंतर के हाहाकार से

    कांपती लौ को स्थिर कर

    साध लेता है धैर्य का संपुट । कभी कभी जीवन ऐसे मोड़ पर होता है, जब किसी के शब्द जीवन का आधार बन जाते हैं जीवन के यथार्थ पर गंभीर चिंतनपूर्ण रचना ।

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  9. एक ही क्षण होता है वह
    दैदीप्यमान आत्मबोध का,
    जब अंतर के हाहाकार से
    कांपती लौ को स्थिर कर
    साध लेता है धैर्य का संपुट ।

    भव्य विचारों का गहन सम्प्रेषण।
    सुंदर।

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  10. बहुत बहुत सुन्दर बहुत सराहनीय कार्य

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  11. सच है यदि कठिन समय में कोई साथ खड़ा भर हो जाय तो कई मुशीबतें कम हो जाती हैं, आत्मघाती घटनाएं टल जाती हैं, निराश मन में आशा का संचार होता है तो इंसान फिर से जी उठता है
    बहुत सुन्दर

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  12. उन क्षणों को कितना मूल्यवान माना जाता है

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