रविवार, 18 नवंबर 2018
शुक्रवार, 16 नवंबर 2018
जो साथ चल दे
कविता तो वो है
जो झकझोर कर
जगा दे ।
जगा दे ।
कविता तो वो है
जो अपना
मंतर चला दे ।
जो अपना
मंतर चला दे ।
कविता तो वो है
जो थपकी देकर
सुला दे ।
जो थपकी देकर
सुला दे ।
कविता तो वो है
जो जीवन को मधुर
रागिनी बना दे ।
जो जीवन को मधुर
रागिनी बना दे ।
कविता तो वो है
जो पाषाण में
प्राण प्रतिष्ठा कर दे ।
जो पाषाण में
प्राण प्रतिष्ठा कर दे ।
नव ग्रह चाँद सितारे
आकाश से टूटते तारे
सबसे मित्रता करा दे ।
आकाश से टूटते तारे
सबसे मित्रता करा दे ।
कविता तो वो है
जो मनचले वक़्त की
नब्ज़ पढ़ना सिखा दे ।
जो मनचले वक़्त की
नब्ज़ पढ़ना सिखा दे ।
कविता तो वो है
जो बहकने पर
हाथ पकड़ कर
रोक ले ।
जो बहकने पर
हाथ पकड़ कर
रोक ले ।
कविता तो वो है
जो डटे रहने का
साहस दे ।
जो डटे रहने का
साहस दे ।
कविता तो वो है
जो संवेदनशील बनाये ।
जो संवेदनशील बनाये ।
कविता तो वो है
जो जीवन
छंद में ढाल दे ।
जो जीवन
छंद में ढाल दे ।
कविता तो वो है
जो ध्रुव तारा बन
पथ प्रशस्त करे ।
जो ध्रुव तारा बन
पथ प्रशस्त करे ।
कविता तो वो है
जो नतमस्तक कर दे ।
जो नतमस्तक कर दे ।
या फिर कविता वो है
जो कंधे पर हाथ रख
घंटों बात समझाए,
और साथ चल दे ।
जो कंधे पर हाथ रख
घंटों बात समझाए,
और साथ चल दे ।
तथास्तु
कठिन तप करने पर
ठाकुरजी ने प्रसन्न होकर
भोले भक्त से कहा,
सेवा से संतुष्ट हुआ
बोल तुझे चाहिए क्या ?
भक्त ने अपना मन टटोला
फिर सकुचा कर प्रभु से बोला
अपने लिए कुछ मांगने का
आज बिल्कुल मन नहीं ।
आपने जो अनमोल जीवन दिया
मेरे लिए पर्याप्त है बस वही ।
पर यदि देने का मन है आपका
तो जो वंचित है भक्ति से आपकी
जीवन का औचित्य जो समझा नहीं,
उसे दीजिए सौंदर्य बोध जीवन का ।
ठाकुरजी हँस दिए और भक्त से कहा
वत्स तूने तो मुझे ही ठग लिया ।
मांगने योग्य जो था सब ले लिया ।
तपते-तपते अहर्निश तूने जान लिया
यदि अपना सर्वस्व मुझको सौंप दिया
तो अपने लिए मांगने को रहा क्या ?
भक्त प्रह्लाद, ध्रुव और नचिकेता
इन्होंने अपना सब कुछ भुला दिया
और जग का कल्याण मांग लिया ।
स्वयं अपना दायित्व मुझे सौंप कर
जनसेवा का संकल्प सहर्ष लिया ।
भक्त ने वरदान का मान रखा
अपने पहले दूसरों का ध्यान किया ।
अपना सर्वस्व समर्पित कर
ठाकुर कृपा को वर लिया ।
ठाकुरजी ने प्रसन्न होकर
भोले भक्त से कहा,
सेवा से संतुष्ट हुआ
बोल तुझे चाहिए क्या ?
भक्त ने अपना मन टटोला
फिर सकुचा कर प्रभु से बोला
अपने लिए कुछ मांगने का
आज बिल्कुल मन नहीं ।
आपने जो अनमोल जीवन दिया
मेरे लिए पर्याप्त है बस वही ।
पर यदि देने का मन है आपका
तो जो वंचित है भक्ति से आपकी
जीवन का औचित्य जो समझा नहीं,
उसे दीजिए सौंदर्य बोध जीवन का ।
ठाकुरजी हँस दिए और भक्त से कहा
वत्स तूने तो मुझे ही ठग लिया ।
मांगने योग्य जो था सब ले लिया ।
तपते-तपते अहर्निश तूने जान लिया
यदि अपना सर्वस्व मुझको सौंप दिया
तो अपने लिए मांगने को रहा क्या ?
भक्त प्रह्लाद, ध्रुव और नचिकेता
इन्होंने अपना सब कुछ भुला दिया
और जग का कल्याण मांग लिया ।
स्वयं अपना दायित्व मुझे सौंप कर
जनसेवा का संकल्प सहर्ष लिया ।
भक्त ने वरदान का मान रखा
अपने पहले दूसरों का ध्यान किया ।
अपना सर्वस्व समर्पित कर
ठाकुर कृपा को वर लिया ।
रविवार, 28 अक्तूबर 2018
शरद का चंद्रमा
झोंपड़ी में बसेरा हो
या अमीरों की बस्ती में
जहां भी बसता हो,
हर किसी के पास आज
शहद में घुला
बताशे-सा ..
शरद की नरम ठंड में
रुई के फाहों से
बादलों में दुबका..
दूधिया चाँद है ।
जहां भी बसता हो,
हर किसी के पास आज
शहद में घुला
बताशे-सा ..
शरद की नरम ठंड में
रुई के फाहों से
बादलों में दुबका..
दूधिया चाँद है ।
खुले आसमान की
बादशाहत सबके पास है ।
बादशाहत सबके पास है ।
बेइंतेहा खूबसूरत नज़ारा
अमनो-चैन की घड़ी
और दिलों में खुशी
पाकीज़ा चांदनी सी ..
कुछ देर ही सही,
इस बेशुमार दौलत का
आज हर कोई हक़दार है ।
अमनो-चैन की घड़ी
और दिलों में खुशी
पाकीज़ा चांदनी सी ..
कुछ देर ही सही,
इस बेशुमार दौलत का
आज हर कोई हक़दार है ।
मंगलवार, 23 अक्तूबर 2018
बेटी ने कहा
पापा मुझे बेटा
मत कहिए ना ।
मत कहिए ना ।
आपकी बेटी हूँ मैं ।
बेटी ही रहने दीजिए ना ।
बेटी होना कम है क्या ?
बेटी ही रहने दीजिए ना ।
बेटी होना कम है क्या ?
आपकी जीवन रागिनी का
सबसे कोमल स्वर हूँ मैं ।
आपके हृदय में,
माँ के अनुराग का
सुंदरतम स्पंदन हूँ मैं ।
सबसे कोमल स्वर हूँ मैं ।
आपके हृदय में,
माँ के अनुराग का
सुंदरतम स्पंदन हूँ मैं ।
आप क्यों डरते हैं इतना ?
मुझे कुछ नहीं होगा ।
आप तो भैया से ज़्यादा
मुझे प्यार करते हैं ना ?
फिर बेटी को बेटा कहना
ज़्यादा फ़क्र की बात है क्या ?
या बेटी का कन्यादान करना
उसे खो देने जैसा लगता है क्या ?
मुझे कुछ नहीं होगा ।
आप तो भैया से ज़्यादा
मुझे प्यार करते हैं ना ?
फिर बेटी को बेटा कहना
ज़्यादा फ़क्र की बात है क्या ?
या बेटी का कन्यादान करना
उसे खो देने जैसा लगता है क्या ?
पापा क्यों है ऐसा ?
भैया भी तो है आपका बेटा ।
नहीं भी है तो क्या हुआ ?
भैया भी तो है आपका बेटा ।
नहीं भी है तो क्या हुआ ?
छोड़ दीजिए ना
खांचे में ढालना ।
बेटे को बेटा
बुलाते हैं ना ?
फिर बेटी को भी,
बेटी ही कहिए ना ।
आपकी
कमज़ोर नब्ज़ बने रहना,
मेरी सबसे बड़ी ताक़त है..
आप समझ रहे हैं ना ?
सारी दुनिया
मुझे नकार दे भले
नेस्तनाबूद मुझे
कर सकेगी ना !
क्योंकि चाहे जो हो जाए,
पता है मुझे
पापा मेरे
हमेशा मेरे साथ हैं ना ।
खांचे में ढालना ।
बेटे को बेटा
बुलाते हैं ना ?
फिर बेटी को भी,
बेटी ही कहिए ना ।
आपकी
कमज़ोर नब्ज़ बने रहना,
मेरी सबसे बड़ी ताक़त है..
आप समझ रहे हैं ना ?
सारी दुनिया
मुझे नकार दे भले
नेस्तनाबूद मुझे
कर सकेगी ना !
क्योंकि चाहे जो हो जाए,
पता है मुझे
पापा मेरे
हमेशा मेरे साथ हैं ना ।
सब देख रहा है भैया ।
आपसे सीख रहा है भैया ।
उसे भी ये समझने दीजिए ना ।
बेटी को बेटी ही कहिए ना ।
आपसे सीख रहा है भैया ।
उसे भी ये समझने दीजिए ना ।
बेटी को बेटी ही कहिए ना ।
अपनी फुलवारी में रंग-रंग के
बड़े जतन से पौधे लगाए आपने ।
सबको अपनी-अपनी क्यारी में
अपने रंग में खिलने दीजिए ना ।
बड़े जतन से पौधे लगाए आपने ।
सबको अपनी-अपनी क्यारी में
अपने रंग में खिलने दीजिए ना ।
बेटी को बेटी ही पुकारिये ना ।
पापा मुझे बेटा मत कहिये ना ।
पापा मुझे बेटा मत कहिये ना ।
मंगलवार, 16 अक्तूबर 2018
जीवन की आभा
रविवार, 14 अक्तूबर 2018
कविता तो वो है
कविता तो वो है
जिसे जिया जा सके ।
जिसे जिया जा सके ।
सान पर
चढ़ाया जा सके ।
विसंगतियों की
तेज़ धार पर
आज़माया जा सके ।
तेज़ धार पर
आज़माया जा सके ।
जिसके बूते पर
अपने सिद्धांतों पर
अड़ा जा सके ।
अड़ा जा सके ।
कविता तो वो है
जिसे जीवन गढ़े
मूर्तिकार की तरह ।
जिसे जीवन गढ़े
मूर्तिकार की तरह ।
जो मिटाए ना मिटे
गोदने की तरह ।
गोदने की तरह ।
या फिर वो है
जिसे मन की मिट्टी में
बोया जा सके ।
दिन-प्रतिदिन के चिंतन में
रोपा जा सके ।
जिसे मन की मिट्टी में
बोया जा सके ।
दिन-प्रतिदिन के चिंतन में
रोपा जा सके ।
कविता तो वो है
जो सहज सहेली बन
जी की बात
झट जान जाए ।
जो सहज सहेली बन
जी की बात
झट जान जाए ।
कविता तो वो है
जिसे अपनाया जा सके ।
हम-तुम जो बोलते हैं,
उस बोली में
जिसे अपनाया जा सके ।
हम-तुम जो बोलते हैं,
उस बोली में
जनम घुट्टी की तरह
घोला जा सके ।
कविता तो वो है
जिसे जिया जा सके ।
जिसे जिया जा सके ।
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