सोमवार, 11 अगस्त 2025

गमला भर खुशी


गमला भर खुशी

मोल ले लो जी !

मुट्ठी भर मिट्टी

संजीवनी है जी !

मिट्टी से उपजी

भीनी खुश्बू की !

मिट्टी में बोई

जीवन दष्टि की !

जो चीज़ बोई

वही फलेगी !

फ़ायदे की है जी

ये खरीददारी !

मिट्टी की नमी

मन में उतरेगी

नरमी आएगी

फुलवारी खिलेगी

खाद और पानी

देते रहो जी !

मिलती रहेगी

यदि धूप भी,

क्यों न पनपेगी

घर में खुशहाली !

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