गमला भर खुशी
मोल ले लो जी !
मुट्ठी भर मिट्टी
संजीवनी है जी !
मिट्टी से उपजी
भीनी खुश्बू की !
मिट्टी में बोई
जीवन दष्टि की !
जो चीज़ बोई
वही फलेगी !
फ़ायदे की है जी
ये खरीददारी !
मिट्टी की नमी
मन में उतरेगी
नरमी आएगी
फुलवारी खिलेगी
खाद और पानी
देते रहो जी !
मिलती रहेगी
यदि धूप भी,
क्यों न पनपेगी
घर में खुशहाली !
वाह
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