रविवार, 1 अप्रैल 2018

मास्टरपीस




जो कह कर भी 
कही ना जा सकीं,
उन बातों की छाप ही 
कहलाती है कल्पना ।

कागज़ ,कैनवस या  
मन का कोना,
कहीं भी 
लिख डालो ,
या रंग दो  . . 
जो उस वक़्त सही लगता हो, 
जब  ह्रदय में उठा हो ज्वार 
या उमड़ी हो वेदना । 

कह ना पाओ 
तो कोलाज बनाओ 
अनुभूतियों का । 
या सजाओ  
रंगोली या अल्पना 
उस रास्ते पर, 
जहां से 
थके-हारे मायूस लोग 
गुज़रते हों ।
यह मौन अभिवादन, 
शायद उन्हें 
ऐसे किसी की 
याद दिला दे, 
जिसने हमेशा 
उनकी भावनाओं का 
किया था आदर । 

या काढ़ो चादर पर 
रुपहले बेल,बूटे और फूल 
जो उन दिनों की 
स्मृति के पट खोल दे,   
जब बिना बुलाये  . .  
माँ की गोदी में 
सिर रखते ही 
झट से आ जाती थी  . .  
सुन्दर सपनों वाली नींद । 

सोच कर नहीं, 
महसूस कर 
जब लिखी जाती है नज़्म, 
रंगे जाते हैं 
कागज़ , दुपट्टे और मन, 
तब कहीं 
बनती है मोने की पेंटिंग  . .  
तब जाकर लिखी जाती है 
द लास्ट लीफ़  . . 
और रचना कहलाती है 
मास्टरपीस ।   
    

18 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी इस प्रविष्टि् के लिंक की चर्चा कल मंगलवार (03-04-2017) को "उड़ता गर्द-गुबार" (चर्चा अंक-2929) पर भी होगी।
    --
    चर्चा मंच पर पूरी पोस्ट नहीं दी जाती है बल्कि आपकी पोस्ट का लिंक या लिंक के साथ पोस्ट का महत्वपूर्ण अंश दिया जाता है।
    जिससे कि पाठक उत्सुकता के साथ आपके ब्लॉग पर आपकी पूरी पोस्ट पढ़ने के लिए जाये।
    --
    हार्दिक शुभकामनाओं के साथ।
    सादर...!
    डॉ.रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक'

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  2. सच है कि महसूस होता है कुछ तो कल्पना जन्म लेती है ... नया सृजन होता है किसी न किसी रूप में ....
    अच्छी रचना ...

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    1. जी . इस संसार का सारा खेल ही संवेदना और समझ का है .
      प्रोत्साहन के लिए आभारी हूँ . आपकी प्रतिक्रिया हमेशा और लिखने को प्रेरित करती है . आते रहिएगा . मार्गदर्शन करने लिए .

      हटाएं
  3. बहुत ही खूबसूरत अल्फाजों में पिरोया है आपने इसे... बेहतरीन

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  4. बेहद शुक्रिया संजय भास्कर जी .

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  5. ये आपका स्नेह बोल रहा है अनमोल .

    वास्तव में ये मास्टरपीस कृतियों को सलाम है . हार्दिक आभार है .
    इनके सहारे जीवन कितना सहज हो जाता है और हम सुन्दरता पहचानना सीख जाते हैं विषम से विषम परिस्थितियों में भी .

    धन्यवाद .

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  6. The Last Leaf
    by O Henry

    Complete Text

    http://www.pages.drexel.edu/~ina22/+270/$270-texts-last_leaf.html

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  7. इस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.

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  8. निरंतर संघर्ष से ही सपनों को मूर्त रूप मिलता है
    बहुत सुन्दर

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    1. धन्यवाद कविता रावत जी .

      करत - करत अभ्यास के जड़मति होत सुजान
      रसरी आवत - जात ते सिल पर परत निसान

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  9. आपकी लिखी रचना आज "पांच लिंकों का आनन्द में" बुधवार 11अप्रैल 2018 को साझा की गई है......... http://halchalwith5links.blogspot.in/ पर आप भी आइएगा....धन्यवाद!






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    उत्तर
    1. धन्यवाद पम्मी जी ।
      यदि संभव हो तो इस कविता के साथ ओ हेनरी की कहानी The Last Leaf और मोने का कोई मास्टरपीस अवश्य साझा करें ।

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  10. http://www.bbc.com/culture/story/20151113-your-7-favourite-claude-monet-paintings

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  11. निमंत्रण

    विशेष : 'सोमवार' १६ अप्रैल २०१८ को 'लोकतंत्र' संवाद मंच अपने साप्ताहिक सोमवारीय अंक में ख्यातिप्राप्त वरिष्ठ प्रतिष्ठित साहित्यकार आदरणीया देवी नागरानी जी से आपका परिचय करवाने जा रहा है। अतः 'लोकतंत्र' संवाद मंच आप सभी का स्वागत करता है। धन्यवाद "एकलव्य" https://loktantrasanvad.blogspot.in/



    टीपें : अब "लोकतंत्र" संवाद मंच प्रत्येक 'सोमवार, सप्ताहभर की श्रेष्ठ रचनाओं के साथ आप सभी के समक्ष उपस्थित होगा। रचनाओं के लिंक्स सप्ताहभर मुख्य पृष्ठ पर वाचन हेतु उपलब्ध रहेंगे।

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