शुक्रवार, 15 जून 2018

जय हिंद

ये इत्तफ़ाक नहीं है ।

सीमा पर तैनात जवान
रोज़ शहीद हो रहा है ।
तब जाकर इस देश का
हर आदमी
चैन से सो पा रहा है ।
वो अपना फ़र्ज़
निभा रहा है,
बिना सवाल पूछे
उन हमवतनों से,
जो उसकी कुर्बानी पर
सवालिया निशान
बार-बार लगा रहे हैं ।

ये इत्तफ़ाक़ नहीं है ।

चाँद यूं ही
मुबारक़ नहीं होता ।
जब एक जवान
ईद की छुट्टी में
घर जाते हुए,
इस दुनिया से
रवाना हो जाता है,
पर सर नहीं झुकाता है ।
तब जाकर
ईद का चांद नज़र आता है ।

हर उस जवान की बदौलत
जो वतन की ख़ातिर
जान दांव पर लगाता है,
हमारा तिरंगा
फ़ख्र से लहराता है ।

सोमवार, 11 जून 2018

निष्ठा


अंजुरी भर जल में
आकाश की परछाईं है ।
मिट्टी के छोटे से दीपक ने
सूरज से आंख मिलाई है ।
घर के टूटे-पुराने गमले में
हरी-हरी जो कोपल फूटी है ।
उसने अनायास ही मेरे मन में
जीवन के प्रति निष्ठा रोपी है ।
हो सकता है ये बात अटपटी लगे
पर धूप ने भी अपनी मुहर लगाई है ।


शनिवार, 9 जून 2018

गुलमोहर



दहकते नारंगी 
बेल-बूटे
कढ़े हुए हैं
उस पेड़ के
हरे उत्तरीय पर,
जिसके पास से
में रोज़ गुज़रता हूँ ।
मुस्कुराते हुए,
हाथ हिलाते हुए,
सोचते हुए...
कड़ी धूप में ही
खिलते हैं गुलमोहर ।
ये याद रहे ।