चलते रहो ।
मुसलसल सफ़र में रहो ।
मंज़िल तक पहुंचो,
ना पहुंचो ।
चलते रहो ।
मील के पत्थरों से राह पूछो ।
बरगद की छांव में कुछ देर सुस्ता लो ।
नदी के बहते पानी में तैरो ।
धूप में तपो ।
रास्ते की धूल फांको ।
बारिश में भीगो ।
आते-जाते मुसाफ़िरों का हाल पूछो ।
जिसे ज़रूरत हो,
उसकी मदद करो ।
जहां रुको,
मेहनत करो ।
चार पैसे कमाओ ।
मेहनत के पैसों को
खर्च करने का स्वाद चखो ।
राहगीरों से मिलो-जुलो ।
दुख-सुख का पाठ पढ़ो ।
फिर आगे बढ़ो ।
एक जगह मत रुको ।
हर कोस पर जहां पानी बदलता हो ।
हर कोस पर जहां बोली बदलती हो ।
उस रास्ते को एक-सा मत जानो ।
उठो ।
हर मोड़ पर बदलते जीवन को परखो ।
हर नए अनुभव को चखो ।
हर उतार-चढ़ाव का मज़ा लो ।
चलते रहो ।
कहीं पहुंचो ना पहुंचो ।
यात्रा का आनंद लो ।
कुछ नहीं तो,
बहुत कुछ जान जाओगे ।
खुद अपने-आप को,
और आसपास को
बेहतर समझ पाओगे ।
चलते रहो ।
सूर्य चंद्र तारों और समय को
साथ चलते देखो ।
कोई नहीं रुकता ।
तुम भी मत रुको ।
अपना प्रारब्ध ख़ुद रचो ।
उसे भी साथ लेकर चलो ।
चलते रहो ।
चलते रहो ।
तुम एक शायर हो ।
तुम्हें पता है ?
ना जाने
कितने लोगों का आसरा
तुम्हारा पता है ।
जिस पते पर
मन ही मन में,
इन लोगों ने
अपने दिल का हाल
लिख भेजा है ।
तुम्हारे दिल तक उनका
पैग़ाम पहुंचा है क्या ?
अगर हाँ . .
तो ख़याल रखना इनका ।
हज़ारों की तादाद में,
या अकेले ,
ये तुमसे
आस लगाये,
टकटकी बांधे
बैठे होंगे,
कहीं मंच के सामने ।
तुम हर एक को नहीं पहचानते ।
बेहद मामूली लोग ये . .
ठीक से दाद देना भी
नहीं जानते ।
इनके लिए,
तुम ग़ज़ल कहना ।
इनके लिए,
तुम नज़्म पढ़ना ।
तुम्हारा कहा
शायद इनके किसी काम आए।
ये बावले !
तुम्हारी शायरी की
उंगली थामे,
एक पूरी ज़िंदगी जी लेंगे !
इसलिए,
माइक के सामने
जब तुम बुलाये जाओ,
तुम्हें वास्ता
अपनी कलम का . .
उन तमाम बातों का
जिन्होंने तुम्हें शायर बनाया . .
तुम सिर्फ़
उनसे मुख़ातिब होना,
जो तुम्हारा लिखा
जीते हैं ।
जिन्होंने शायरी से
सच्ची मोहब्बत की है ।
जो अपने दिल की बात
तुमसे सुनने आये हैं ।
तुम अपना कलाम
उनके लिए पढ़ना ।
हमेशा दिल की बात कहना ।
कौन कह सकता है ,
सूरदास देख नहीं सकते थे ?
सूर की दृष्टि से ही
हर भक्त ने
कृष्ण लीला का
भावमय दर्शन किया ।
बिना जाने
कौन मान सकता था ?
हेलेन केलर ना सुन सकती थीं ,
ना देख सकती थीं ।
पर जानती सब थीं ।
उनसे ज़्यादा
भरपूर जीवन किसने जिया ?
सारे संसार को उन्होंने
प्रसन्न और कर्मठ जीवन का
सुन्दर दर्शन दिया ।
हेलेन केलर को देखना सिखाया
एक टीचर के विश्वास ने ।
सूरदास ने जीवन भक्ति से साधा
और मन की आँखों से देखा ।
सामर्थ्य जब कम हो,
युद्ध मनोबल से जीते जाते हैं ।