मैं एक मामूली
मिट्टी का दिया हूँ ।
मैं मनोबल हूँ ।
जो अंतर में,
अलख जगाये,
आस बँधाये ।
मैं एक सजग
विचार हूँ ।
जो बीहड़ में
राह बनाये ।
मैं जिजीविषा हूँ ।
जो हर हाल में,
जीवन से
लौ लगाये रखने का
साहस दे ।
मैं अभय हूँ ।
जो अँधेरे और अज्ञान को
ललकारना सिखाये ।
मैं अंधकार के ललाट पर
ज्योतिर्मय तिलक हूँ ।
मैं वंदना हूँ ।
जो सूर्य के प्रकाश की
ऊष्मा अपने में समेटे
दीपक राग बन जाये ।
मैं एक मामूली
मिट्टी का दिया हूँ ।