सुख इतना उपजाओ मन में,
दुःख के लिए जगह मत छोड़ो।
मिट्टी में बीज बो कर देखो।
फिर देखो कितनी खुशी मिलेगी।
जब मिटटी में अंकुर फूटेगा,
और सींचोगे तो फूल खिलेगा।
सुख इतना उपजाओ मन में,
दुःख के लिए जगह मत छोड़ो।
दोस्त किसी के बन कर देखो।
फिर देखो कितनी खुशी मिलेगी।
उसका दुःख सुलझाओगे जितना,
अपने सुख का पता मिलेगा।
सुख इतना उपजाओ मन में,
दुःख के लिए जगह मत छोड़ो।
टूटी चीज़ों को जोड़ के देखो।
फिर देखो कितनी खुशी मिलेगी।
जब - जब जोड़ोगे टूटा खिलौना,
बच्चों का निश्छल प्यार मिलेगा।
सुख इतना उपजाओ मन में,
दुःख के लिए जगह मत छोड़ो।
भार उठा अपनों का देखो।
फिर देखो कितनी खुशी मिलेगी।
हर दिन माँ - बाप के पैर दबाना,
भारीपन मन का उड़न - छू होगा।
सुख इतना उपजाओ मन में,
बेरंग सतहों को रंग कर देखो।
फिर देखो कितनी खुशी मिलेगी।
सूनी दीवारें,कैनवस,कॉपी,हथेली हो,
तीन कनस्तर या लकड़ी का टुकड़ा।
कुछ मत छोड़ो ! सब कुछ रंग दो !
जीवन का रंग क्या खूब चढ़ेगा !
सुख इतना उपजाओ मन में,