सुख इतना उपजाओ मन में,
दुःख के लिए जगह मत छोड़ो।
मिट्टी में बीज बो कर देखो।
फिर देखो कितनी खुशी मिलेगी।
जब मिटटी में अंकुर फूटेगा,
और सींचोगे तो फूल खिलेगा।
सुख इतना उपजाओ मन में,
दुःख के लिए जगह मत छोड़ो।
दोस्त किसी के बन कर देखो।
फिर देखो कितनी खुशी मिलेगी।
उसका दुःख सुलझाओगे जितना,
अपने सुख का पता मिलेगा।
सुख इतना उपजाओ मन में,
दुःख के लिए जगह मत छोड़ो।
टूटी चीज़ों को जोड़ के देखो।
फिर देखो कितनी खुशी मिलेगी।
जब - जब जोड़ोगे टूटा खिलौना,
बच्चों का निश्छल प्यार मिलेगा।
सुख इतना उपजाओ मन में,
दुःख के लिए जगह मत छोड़ो।
भार उठा अपनों का देखो।
फिर देखो कितनी खुशी मिलेगी।
हर दिन माँ - बाप के पैर दबाना,
भारीपन मन का उड़न - छू होगा।
सुख इतना उपजाओ मन में,
दुःख के लिए जगह मत छोड़ो।
बेरंग सतहों को रंग कर देखो।
फिर देखो कितनी खुशी मिलेगी।
सूनी दीवारें,कैनवस,कॉपी,हथेली हो,
तीन कनस्तर या लकड़ी का टुकड़ा।
कुछ मत छोड़ो ! सब कुछ रंग दो !
जीवन का रंग क्या खूब चढ़ेगा !
सुख इतना उपजाओ मन में,
दुःख के लिए जगह मत छोड़ो।
Good poem with powerful message. Well written.
जवाब देंहटाएंHave a good day !
Thank you !
हटाएंWishing you good reading times ahead !
बहुत ही सुन्दर प्रस्तुति .... Nice article with awesome explanation ..... Thanks for sharing this!! :) :)
जवाब देंहटाएंThank you.
हटाएंबहुत बढ़िया।
जवाब देंहटाएंशुक्रिया । पढ़ते रहियेगा ।
हटाएंAwesome work.Just wanted to drop a comment and say I am new to your blog and really like what I am reading.Thanks for the share
जवाब देंहटाएंThank you very much.
हटाएंPlease do continue reading.
Hope what I write will make you feel good.