शनिवार, 7 नवंबर 2015
बुधवार, 15 जुलाई 2015
सत्य
सब कुछ
ध्वस्त
होने के बाद
जो बचता है,
वही
शाश्वत सत्य
होता है ।
अच्छे और बुरे से परे
अच्छे और बुरे,
इनकी परिभाषा के परे
सत्य
मैंने जाना है ।
अनुभव ही पैमाना है ।
गहरे पानी पैठ कर
पहचाना है ।
जिस समय
जो सही लगे,
वही करे,
तो बंदा
खरा होता है ।
अच्छे बुरे का मापदंड
ठीक उसी वक़्त
तय होता है,
जिस वक़्त
निर्णय लेना होता है ।
आदमी से बड़ा
वो लम्हा होता है,
जब सच्चाई की
कसौटी पर
उसका सारा चिंतन
दाँव पर लगा होता है ।
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