शब्दों में बुने भाव भले लगते हैं । स्याही में घुले संकल्प बल देते हैं ।
शहर केपथरीले बीहड़ में,बस अभी अभी,नूपुर को देखा।वह उसका प्रकाशमय चेहरा,दिल खिल उठा मेरा –हरे कृष्ण, हरे कृष्ण,कृष्ण कृष्ण, हरे हरे।पंख खोले, और उड़ चला॥(जी मैं; वही वाला तोता)
कुछ अपने मन की भी कहिए
शहर के
जवाब देंहटाएंपथरीले बीहड़ में,
बस अभी अभी,
नूपुर को देखा।
वह उसका प्रकाशमय चेहरा,
दिल खिल उठा मेरा –
हरे कृष्ण, हरे कृष्ण,
कृष्ण कृष्ण, हरे हरे।
पंख खोले, और उड़ चला॥
(जी मैं; वही वाला तोता)