शब्दों में बुने भाव भले लगते हैं । स्याही में घुले संकल्प बल देते हैं ।
हाँ, यही तो है। यही बात तो मैं पिछली कविता पर कर रहा था। अच्छे और बुरे की परिभाषा के परे सत्य मैंने जाना है....... जब असत्य न हो, और सत्य भी न हो, तो वही सत्य है। यह बात समझी नहीं जा सकती, समझाई भी नहीं जा सकती। केवल जानी जा सकती है। यही ज्ञान है।
कुछ अपने मन की भी कहिए
हाँ, यही तो है। यही बात तो मैं पिछली कविता पर कर रहा था। अच्छे और बुरे की परिभाषा के परे सत्य मैंने जाना है....... जब असत्य न हो, और सत्य भी न हो, तो वही सत्य है। यह बात समझी नहीं जा सकती, समझाई भी नहीं जा सकती। केवल जानी जा सकती है। यही ज्ञान है।
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