माँ कहती थी
सीख लो बिटिया
काम आएँगी
छोटी-छोटी बातें.
इसलिए नहीं कि
हर लड़की को
आनी चाहिए
अच्छी लगने वाली बातें
यानी घर सँभालने वाली बातें.
इसलिए कि
हर लड़की को
आनी चाहिए
आत्मनिर्भर
बनाने वाली बातें.
ख़ुद कर सको
सारा काम अपना
इससे अच्छा क्या होगा ?
काम कोई भी सीखो
कभी न कभी काम आएगा.
सीखना ही जीना है.
यह जीते-जीते समझ आएगा.
नहीं सीखना नाचना-गाना
जो लड़के वालों को हो दिखाना.
सहज सीख लोगी तो जब चाहो
जब मन हो तब गुनगुनाना.
बेस्वाद ज़िन्दगी में क्या रखा !
स्वाद घोलने को जीवन में
क्यों न सीखो स्वादिष्ट पकाना !
यदि गोल-गोल सेंकोगी फुलका
काम बहुत जल्दी निबटेगा !
फिर सीखो फ्यूज उड़े तो
ख़ुद कैसे ठीक करना.
छोटी-मोटी मरम्मत करना
करते-करते आ जाएगा
जीवन की उलझनें सुलझाना.
सीख कर तैयार रहना.
जब कभी पड़े आज़माना
किसी से भी पीछे मत रहना.
फटी सिलाई को फिर सिलना
माँ को अक्सर करते देखा.
फिर धीरे से मुसका कर कहना
ऐसा ही होता है जीवन.
रोज़ उधडती रहती सीवन
रोज़ उसे पड़ता है सीना.
सीख ही लेना तुम भी तुरपन.
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कलाकृति चित्र इन्टरनेट से साभार