शनिवार, 7 मई 2022

तुरपन














माँ कहती थी 
सीख लो बिटिया 
काम आएँगी 
छोटी-छोटी बातें. 

इसलिए नहीं कि 
हर लड़की को 
आनी चाहिए 
अच्छी लगने वाली बातें
यानी घर सँभालने वाली बातें.

इसलिए कि 
हर लड़की को 
आनी चाहिए 
आत्मनिर्भर 
बनाने वाली बातें.

ख़ुद कर सको 
सारा काम अपना 
इससे अच्छा क्या होगा ?
काम कोई भी सीखो 
कभी न कभी काम आएगा.

सीखना ही जीना है.
यह जीते-जीते समझ आएगा.

नहीं सीखना नाचना-गाना 
जो लड़के वालों को हो दिखाना.
सहज सीख लोगी तो जब चाहो  
जब मन हो तब गुनगुनाना.  

बेस्वाद ज़िन्दगी में क्या रखा !
स्वाद घोलने को जीवन में 
क्यों न सीखो स्वादिष्ट पकाना !
यदि गोल-गोल सेंकोगी फुलका 
काम बहुत जल्दी निबटेगा !

फिर सीखो फ्यूज उड़े तो 
ख़ुद कैसे ठीक करना.
छोटी-मोटी मरम्मत करना  
करते-करते आ जाएगा 
जीवन की उलझनें सुलझाना.

सीख कर तैयार रहना.
जब कभी पड़े आज़माना 
किसी से भी पीछे मत रहना.  
 
फटी सिलाई को फिर सिलना 
माँ को अक्सर करते देखा.
फिर धीरे से मुसका कर कहना 
ऐसा ही होता है जीवन. 
रोज़ उधडती रहती सीवन 
रोज़ उसे पड़ता है सीना.
सीख ही लेना तुम भी तुरपन.


~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~

कलाकृति चित्र इन्टरनेट से साभार 


11 टिप्‍पणियां:

  1. विनीता जैन7 मई 2022 को 11:32 pm बजे

    कितने प्यार से, सरल, सीधे शब्दों में बिटिया को समझा दिया, " सीख ही लो तुम भी तुरपन।" आपको इस सुंदर रचना के लिए बधाई। 🌷

    जवाब देंहटाएं
  2. आज इस कविता में आपकी नही, अम्मा की आवाज सुनाई दे रही थी। ये कविता आप दोनो के सुंदर रिश्ते को दिखाती है। अम्मा को और आपको ढेर सारा प्यार।

    जवाब देंहटाएं
  3. रोज़ उधडती रहती सीवन
    रोज़ उसे पड़ता है सीना.
    सीख ही लेना तुम भी तुरपन

    –अद्धभुत

    जवाब देंहटाएं
  4. बहुत ही सुंदर और सरल भाव, मां की तरह ही।

    जवाब देंहटाएं
  5. बहुत सार्थक रचना।
    मातृ दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ आपको।

    जवाब देंहटाएं
  6. A wonderful message from one generation to another, how do you put such messages across in so simple manner. Just brilliant. Vijay Pandya

    जवाब देंहटाएं
  7. वाह ...... ज़िन्दगी के सच को सटीक शब्द दिए हैं ।

    जवाब देंहटाएं
  8. फटी सिलाई को फिर सिलना
    माँ को अक्सर करते देखा.
    फिर धीरे से मुसका कर कहना
    ऐसा ही होता है जीवन.
    रोज़ उधडती रहती सीवन
    रोज़ उसे पड़ता है सीना.
    सीख ही लेना तुम भी तुरपन.
    सही कहती है माँ ! माँ की सीख से सबको शिक्षा देती रचना हेतु बधाई एवं शुभकामनाएं।

    जवाब देंहटाएं
  9. क्या बात है प्रिय नुपूरम जी।माँ की सीख सदैव ही बेटी के लिए अनमोल होती है।सच में माँ भी तो तुरपन के माध्यम से कभी रिश्ते तो कभी कपडे,संवारती रहती है।फिर ये सीख वो बेटी को क्यों न देगी??आखिर बेटी माँ की परछाई जो है।फिर आत्म निर्भरता भी जरुरी है बिटिया के लिए।भावपूर्ण अभिव्यक्ति के लिए बधाई और शुभकामनाएं।मातृ दिवस की बधाई और शुभकामनाएं आपको 🙏🙏🌺🌺

    जवाब देंहटाएं
  10. भावपूर्ण अभिव्यक्ति 👌👌🙏

    जवाब देंहटाएं

कुछ अपने मन की भी कहिए