किस मिट्टी से बना है मेरा भारत ?
जो असंख्य आक्रमणों का संहार,
विदेशी सभ्यता का प्रचंड प्रचार,
प्राकृतिक आपदाओं का प्रहार,
पचा कर भी भारत ही बना रहा ।
सिरमौर हिमालय ध्यानमग्न, चरणों में अथाह सागर ।
सरसों, गेंहू, धान के खेतों, खनिजों का नौलखा हार ।
गंगा, यमुना, कावेरी, नर्मदा, कृष्णा का निर्मल परिधान,
ब्रह्मपुत्र, महानदी के उत्तरीय का अविरल, प्रचंड प्रवाह ।
दक्षिण,कच्छ,पूर्वांचल,रंगीलो राजस्थान भारत का मान।
पर क्या वसीयत में मिला गौरव मात्र है देश की पहचान ?
क्या केवल कला, स्थापत्य, काव्य से ही होगा देश का सम्मान ?
क्या आर्थिक बल से मिली प्रतिष्ठा ही प्रयोजन एकमात्र ?
या नुक्ताचीनी, विरोध, हङताल, धरना ही है समाधान ?
क्या अवसरवादिता से ही बना रहेगा मेरा भारत महान ?
बोलते नहीं बस करते जाते हैं जो लगन से अपना काम,
जिनके ह्रदय में एकमेव बस देश की सेवा का अरमान,
जिस मिट्टी में गुंथा है समर्पित शहीदों का स्वाभिमान,
जिसे सींचता है अपने पसीने से श्रमिक और किसान,
उसी पावन मिट्टी से गढ़ा गया है मेरा प्यारा हिंदुस्तान ।
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कलात्मक फूल रंगोली साभार : सुश्री रेखा शांडिल्य